बिहार: कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कांग्रेस पर कसा तंज कहा,मृत सैया पर अंतिम सांसे गिन रही है कांग्रेस, कांग्रेस विधायक मुन्ना तिवारी ने किया पलटवार।

जातीय जनगणना पर कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि जातीय जनगणना के मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए विपक्षी पार्टी के नेताओ के द्वारा किया जाता है। जिला अतिथि गृह बक्सर में प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना केवल सियासत का विषय है। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और सभी सियासी पार्टियों के नेता इस बात को जानते हैं कि जातीय जनगणना कभी भी राष्ट्रीय स्तर पर सरकार नहीं कराएगी। सीएम नीतीश कुमार भी इस बात को जानते है कि राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना व्यावहारिक नहीं है, केवल सियासी मुद्दा है।

जातीय जनगणना के लिए स्वतंत्र है राज्य सरकार:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत तमाम विपक्षी पार्टियों द्वारा जातीय जनगणना कराने की मांग के सवालों का जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि यह केवल सियासत का विषय है। सभी मंत्री, मुख्यमंत्री , प्रधानमंत्री भी इस बात को जानते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना नहीं होगी। उसके बाद भी आजादी के पहले से यह मांग उठाई जा रही है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों की सरकारों को यह स्वतंत्रता दी है कि वह अपने यहां चाहें तो जातीय जनगणना करा सकती हैं। राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना व्यावहारिक नहीं है।

जाति के मुद्दो से आज भी प्रभावित होते हैं मतदाता।

कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जातीय जनगणना राजनेताओं के लिए एक दुधारू गाय की तरह है जिसका इस्तेमाल चुनाव के दौरान पिछड़े एवं ओबीसी जातियों के वोट लेने के लिए किया जाता है। विपक्ष में जो भी पार्टियां रहती है, वह यह मांग उठाती है। इसका लाभ पक्ष और विपक्ष दोनों को मिलता है। जनता ज्वलन्त समस्याओं को भूल जाती है। यही कारण है कि 90 साल का समय गुजर जाने के बाद भी जातीय आधारित जनगणना इस देश में नहीं कराई गई।

गर्त में गोते खा रही है कांग्रेस की नईया।

वहीं कांग्रेस पार्टी के नेताओं द्वारा जातीय जनगणना की मांग उठाए जाने पर उन्होंने कहा कि इस देश के अंदर कांग्रेस की कोई औकात नहीं रह गई है। कांग्रेस खुद मृत सैया पर अपनी अंतिम सांसें गिन रही है। उसके बाद भी कांग्रेस के नेता इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं कि देश की सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी का आज ऐसा हश्र क्यों हो गया है।

कांग्रेस का बीजेपी पर पलटवार।

कृषि मंत्री के इस बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के चाल और चरित्र को समझना सबके बस की बात नहीं है। यह भूल गए हैं कि पूरे भारत में इनके दो सांसद हुआ करते थे। विपक्ष में भी बैठने के लायक नहीं थे। जिस कांग्रेस को बीजेपी के लोग मृत सैया पर बता रहे हैं। उसी कांग्रेस के पास पूरे देश में 700 विधायक हैं। वह दिन अब दूर नहीं जब बीजेपी की नैया डूब जाएगी। इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश की जनता ने कर दी है। इनकी पार्टी के नेताओ को सड़क पर दौड़ाकर जिस तरह से लोगों ने मारा, वह इस बात का संकेत है।

अंग्रेजों के शासन में हुई थी आखिरी जातीय जनगणना: भारत में आखिरी बार 1931 में जातिगत आधार पर जनगणना की गई थी। द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ जाने के कारण 1941 में आंकड़ों को संकलित नहीं किया जा सका था। आजादी के बाद 1951 में इस आशय का प्रस्ताव तत्कालीन केंद्र सरकार के पास आया था, लेकिन उस समय गृह मंत्री रहे सरदार वल्लभ भाई पटेल ने यह कहते हुए प्रस्ताव खारिज कर दिया था कि इससे समाज का ताना-बाना बिगड़ सकता है। 1951 के बाद से लेकर 2011 तक की जनगणना में केवल अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति से जुड़े आंकड़े प्रकाशित किए जाते रहे। 2011 में इसी आधार पर जनगणना हुई, किंतु अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर इसकी रिपोर्ट जारी नहीं की गई।