स्व अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती पर पूरे भारत ने किया उन्हे नमन …..

आज पूरा देश अटल बिहारी बाजपेयी के जयंती पर उन्हें याद और नमन कर रहा है। 

अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने ट्विटर हैंडल के ऑफिशियल अकाउंट से ट्वीट कर लिखा कि स्व० अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि |

वहीं दूसरी तरफ बीजे केंद्र सरकार के गृहमंत्री अमित शाह ने  अटल बिहारी बाजपेयी जी को याद करते हुए कहा कि माँ भारती का परम वैभव लौटाने को जीवन का ध्येय बनाकर अटल जी ने अपने अडिग सिद्धांतों व अद्भुत कर्तव्यनिष्ठा से देश में अंत्योदय व सुशासन की कल्पना को चरितार्थ कर भारतीय राजनीति को नयी दिशा दी।

 

ऐसे अद्वितीय राष्ट्रभक्त आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर उन्हें चरणवंदन।

इसके साथ ही डॉ संबित पात्रा ने कहा कि बाल मन की सरलता, ऋषि चित्त की सहजता एवं लोकतंत्र की सात्विक मर्यादाओं के मूर्तरूप, भारतीय जनता पार्टी के पितृ पुरुष भारत रत्नश्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन ।

 

आपका देवतुल्य जीवन, हम सभी देशवासियों के लिए एक महान प्रेरणा है।

आपको बता दें कि राजनीति के महानायक स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी (25 दिसंबर 1924 – 16 अगस्त 2018) भारत के तीन बार के प्रधानमंत्री थे। वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, तथा फिर 1998 मे और फिर19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे हिंदी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लंबे समय तक राष्‍ट्रधर्मपाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।

वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे, लोकसभा, निचले सदन, दस बार, और दो बार राज्य सभा, ऊपरी सदन में चुने गए थे। उन्होंने लखनऊ के लिए संसद सदस्य के रूप में कार्य किया 2009 तक उत्तर प्रदेश जब स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त हुए। अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारंभ करने वाले वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमंत्री पद के 5 वर्ष बिना किसी समस्या के पूरे किए। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण इन्हे भीष्मपितामह भी कहा जाता है।