गंगा किनारे बना जैविक गलियारा : पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गंगा को स्वच्छ रखने के प्रयासों को पूरा करने में मिल रही सहायता: नीतीश कुमार

बिहार सरकार की ओर से गंगा नदी के दोनों किनारे जैविक कॉरिडोर बनाकर शुरू कराए गए जैविक खेती के माध्यम से सब्जी का उत्पादन कार्य अब साकार होने लगा है। शनिवार को नीतीश कुमार ने सूबे में आर्गेनिक फार्मिंग या जैविक खेती में मिली सफलता पर ट्वीट करते हुए कहा कि  बिहार में गंगा नदी के दोनों किनारे के पास के 13 जिलों को मिलाकर जैविक काॅरिडोर बनाया गया है। इस योजना में किसानों को जैविक खेती के लिए कृषि इनपुट अनुदान तथा निःशुल्क प्रमाणीकरण की सुविधा दी जा रही है। अब तक 188 कृषक उत्पादक संगठनों को इस योजना में शामिल किया गया है,

उन्होंने अपने ट्वीट में बताते हुए आगे लिखा कि “जिसमें 21,608 किसान शामिल हैं। जैविक खेती की इस योजना के कार्यान्वयन के फलस्वरूप रासायनिक उवर्रकों का प्रयोग कम होगा, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गंगा को स्वच्छ रखने के प्रयासों को पूरा करने में सहायता मिलेगी।”

बतादें कि सूबे के किसानों के उपजाए गए जैविक लाल भिडी औषधीय गुणों से भरपूर है। इस प्रजाति की खेती प्रथम बार ट्रायल के रूप में शुरू किया गया था, जो सार्थक दिख रहा है। इसकी उपज अच्छी होने से किसान भी काफी उत्साहित हैं।

सिक्किम के बाद बिहार है जैविक राज्य

सिक्किम के बाद बिहार देश का दूसरा ऐसा राज्य बनने जा रहा जोकि आर्गेनिक फार्मिंग या जैविक खेती में आगे बढ़ रहा है। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा में पिछले वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कृषि विभाग की 3,152.81 करोड़ रुपये की बजटीय मांग पर चर्चा के बाद सरकार की ओर से बहस का जवाब देते हुए प्रेम कुमार ने बताया था कि प्रदेश के 13 जिलों में “जैविक कॉरिडोर” विकसित करने के लिए 155 करोड़ रुपये स्वीकृत किये जाने के साथ राज्य सरकार सभी 38 जिलों में जैविक खेती को बढ़ावा देगी।

गौरतलब है कि नीतीश के पूर्व कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा था कि राज्य के बक्सर से भागलपुर जिले तक गंगा नदी के दोनों किनारे यह “जैविक कॉरिडोर” विकसित किया जा रहा है। वर्ष 2020—21 के दौरान 21,000 एकड़ में जैविक प्रमाणीकरण का कार्य किया जाना है।

ऑर्गेनिक खेती करने पर है सब्सिडी

मालूम हो कि प्रदेश के 23 जिलों में शुरू की गई उद्यानिक उत्पाद विकास योजना के तहत 13 फसलों को उपजाने वाले किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिलने पर उत्पाद की प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना के लिए सरकार 90 फीसदी का अनुदान देगी। किसान अपने उत्पाद का प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग कर सीधे बिक्री कर सकेंगे।