4 अक्टूबर को पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण विवाद पर अपना फैसला सुनाया और स्पष्ट किया कि बिहार में निकाय चुनाव के लिए सीटों के आरक्षण का जो फैसला लिया गया है वो गलत है।
बिहार में नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग के लिए 20 फीसदी आरक्षण को खत्म किए जाने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग अब नए सिरे से चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। इस बीच नीतीश सरकार निकाय चुनाव को लेकर पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। गुरुवार को आयोग की बैठक हुई, उसमें निर्णय लिया गया कि नए सिरे से नगर निकाय चुनाव की तैयारी की जाए। आयोग सूत्रों के अनुसार इसमें कम से कम तीन से चार महीने समय लग सकता है। हालांकि, प्रयास है कि दिसंबर के अंत तक चुनाव प्रक्रिया पुन निर्धारित कर ली जाए। दूसरी ओर, राज्य सरकार अतिपिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को अनारक्षित करने के हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
इससे पहले बिहार के 224 नगर निकायों में दो चरणों में आम चुनाव कराने की तैयारी की गई थी। पहले चरण का मतदान 10 अक्टूबर को होना था जबकि दूसरे चरण का 20 अक्टूबर को निर्धारित था। दोनों चरणों के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी थी। इस बीच 4 अक्टूबर को पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण विवाद पर अपना फैसला सुनाया और स्पष्ट किया कि बिहार में निकाय चुनाव के लिए सीटों के आरक्षण का जो फैसला लिया गया है वो गलत है। जिन सीटों को अन्य पिछड़ा के लिए निर्धारित करने का फैसला लिया गया वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत है। अब सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला होगा उस पर चुनाव निर्भर करेगा।
आचार संहिता अब तक जारी, चुनाव के अब दो ही विकल्प है।…..
राज्य में फिलहाल आदर्श आचार संहिता जारी है। गुरुवार को आयोग की उच्चस्तरीय बैठक में इसे हटाए जाने को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया। आयोग के स्तर पर आगे इस पर विचार किया जाएगा। पटना उच्च न्यायालय के फैसले के बाद राज्य में नगर निकाय चुनाव को लेकर अब दो ही तरह के विकल्प बचे हैं-
1.अन्य पिछड़ों के लिए घोषित सीटों को (अनारक्षित) सामान्य घोषित करते हुए नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया पूरा किया जाए।
2.सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का पालन करते हुए आरक्षण पर कोई भी निर्णय लेने से पहले प्रदेश में आयोग गठित कर ट्रिपल लेयर टेस्ट की प्रक्रिया पूरी की जाए। इस सर्वे के बाद ही राज्य के पिछड़े लोगों की सही गणना हो सकेगी और उनके सामाजिक व शैक्षणिक स्थिति का सही पता चल सकेगा। सभी सूचनाएं एकत्र कर आरक्षण पर फैसला लेते हुए सीटों को आरक्षित किया जाए।
राज्य में नगर निकाय चुनाव को लेकर उम्मीदवारों द्वारा विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव प्रचार में खर्च की गई राशि की गणना कैसे की जाएगी इस पर मंथन करना होगा। आयोग सूत्रों ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देशानुसार नए सिर से चुनाव कराने को लेकर विभिन्न जिलों में अलग-अलग बूथों के लिए उपलब्ध कराए गए ईवीएम को भी इधर से उधर करना होगा।
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