बिहार निकाय चुनाव 2022: चुनावों के तारीखों और आरक्षण को लेकर सभी लोगो की नजरे हाई कोर्ट पर टिकी…..

बिहार नगर निकाय चुनाव में आरक्षण विवाद को लेकर नीतीश सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ओबीसी और ईबीसी वर्ग के आरक्षण पर सवाल खड़े होने के बाद हाईकोर्ट ने इसे गलत करार दिया और अंतत: चुनाव के कुछ ही दिनों पहले निर्वाचन आयोग ने चुनाव पर रोक लगा दिया था। बिहार सरकार ने इस फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में पुर्नविचार याचिका दायर की थी। जिसपर आज यानी बुधवार को सुनवाई होनी है। आरक्षण विवाद पर प्रदेश की महागठबंधन सरकार और भाजपा आमने-सामने है.

एक ओर जहां महागठबंधन ने नगर निकाय के चुनाव पर रोक लगाने के लिए भाजपा को जिम्मेदार बताया है वहीं भाजपा ने आरक्षण के तरीके पर सवाल उठाते हुए सरकार को अतिपिछड़ा विरोधी बताया है। महागठबंधन सरकार की ओर से ये साफ कर दिया गया है कि वो 2 अतिपिछड़ा आरक्षण के चुनाव नहीं कराने वाली है। अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।

बता दें कि बिहार में इसी महीने दो चरणों में मतदान होना था। अंतिम समय में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद निर्वाचन आयोग ने चुनाव पर रोक लगा दी। वहीं अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। पहले सरकार की ओर से ये बोला गया कि इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। वहीं अब हाईकोर्ट में ही रिव्यू पिटीशन डाला गया है ताकि हाईकोर्ट इस रोक पर फिर एकबार विचार करे और आरक्षण पर समीक्षा करे।

हाईकोर्ट ने क्यों लगायी है रोक?
बता दें कि बिहार सरकार निकाय चुनाव में अपने द्वारा लागू की गयी आरक्षण व्यवस्था को सही मानती है। जबकि हाईकोर्ट का कहना है कि बिहार में निकाय चुनाव सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत ही होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी और ईबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट कराने का निर्देश दिया है। जिसके बाद ही आरक्षण की वास्तविक जरुरत का पता चल सकता है। हाईकोर्ट का कहना है कि अगर ट्रिपल टेस्ट नहीं करा सकें तो आरक्षित सीटों को सामान्य मानकर चुनाव कराएं। जिसके लिए बिहार सरकार तैयार नहीं है।