क्या है ब्लैक फंगल इंफेक्शन, जिससे लोगों की मौत तक हो जा रही है!

कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने हाहाकार मचा रखा है। कोरोना संक्रमण से लगातार होने वाली मौतों का सिलसिला जारी है। भारत संक्रमण के मामले में अमेरिका के बाद पहले नंबर पर है। अकड़े बता रहे है कि भारत कोरोना संक्रमण का हॉट स्पॉट बन गया है। कोरोना संक्रमण के  बीच कई राज्यों से ब्लैक फंगस इंफेक्शन की खबरों ने सबको सकते में डाल दिया है। लगातार ख़बरें आ रही है कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद लोगों में ब्लैक फंगल इंफेक्शन हो रहा है। इन दिनों ब्लैक फंगल इन्फेक्शन से होने वालीमौतों का सिलसिला जारी है। कई मामलों में मरीजों की आंखें तक निकालने की नौबत आ रही है। इस वायरस ने न केवल लाखों लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, बल्कि भारत की चरमरा रही स्वास्थ्य वयवस्था पर भी भारी दबाव बढ़ा दिया है।

म्यूकोरमाइकोसिस, जिसे ब्लैक फंगस संक्रमण के रूप में भी जाना जाता है, लोगों की जान ले रहा है। अभी लोग इसे कोरोना से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लैक फंगस इंफेक्शन कोई नया मामला नहीं है। मधुमेह के रोगियों में यह पहले भी देखा गया है।

मेडिसिन नेट की एक रिपोर्ट के हवाले से इंडिया डॉट कॉम में ने लिखा है कि कोविड-19 के साथ-साथ ब्लैक फंगल संक्रमण भी हो सकता है। खासकर उन लोगों में जिनके मामले इतने गंभीर हैं कि उन्हें आईसीयू में रखा गया है और जिन्हें मधुमेह या एचआईवी जैसी गंभीर बीमारियां हैं। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के साथ-साथ इस फंगस के संक्रमण से खतरा काफी बढ़ जाता है और कुछ मामलों में यह घातक भी साबित होता है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे कई मामले सामने आये हैं कि जिनमें  ब्लैक फंगस का संक्रमण, कोरोना से ठीक होने के बाद होता है। भारत में ब्लैक फंगस के मामलों की लगातार विर्धि दर्ज की जा रही है। वहीं दुनिया भर के चिकित्सा विशेषज्ञ पुरी कोशिश कर रहे हैं कि इस पर अंकुश लगाया जा सके। बतादें कि इसकी प्रारंभिक पहचान और उपचार इस संक्रमण को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। आपको कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा जो कि इससे बचने में सहायक है।

  • बुखार
  • ठंड लगना
  • नाक बहना
  • सरदर्द
  • सांस लेने में कठिनाई

मेडिकल नेट के अनुसार, दो सबसे आम फंगल संक्रमण एस्परगिलोसिस और इनवेसिव कैंडिडिआसिस हैं. अन्य में म्यूकोरमाइकोसिस और हिस्टोप्लाज्मोसिस और कैंडिडा ऑरिस संक्रमण शामिल हैं। किसी भी फंगल संक्रमण का मुख्य कारण उस हवा में सांस लेना होता है, जिस हवा में ये फंगस मौजूद होते हैं।

  • एस्परगिलोसिस : एस्परगिलोसिस इस जीनस के कवक के कारण होने वाला एक फेफड़े का रोग है, विशेष रूप से ए. फ्यूमिगेटस, जो व्यापक रूप से पौधों और मिट्टी में पाया जाता है।
  • इनवेसिव कैंडिडिआसिस : यह फंगल इंफेक्शन कैंडिडा ऑरिस के कारण होता है. इनवेसिव कैंडिडा संक्रमण के सबसे आम लक्षण बुखार और ठंड लगना है। इससे रक्त प्रवाह में संक्रमण और यहां तक कि मौत का कारण भी हो सकता है।
  • म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस : यह फंगल संक्रमण म्यूकोर्मिकोसिस नामक मोल्डों के समूह के कारण होता है. ये मोल्ड पूरे वातावरण में रहते हैं। म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है जिन्हें स्वास्थ्य समस्याएं हैं या जो वैसी दवाएं ले रहे हैं जो शरीर की रोगाणुओं और बीमारी से लड़ने की क्षमता को कम करती हैं।

किसे है ज़यादा ख़तरा

एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने इसके बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि फंगस इंफेक्शन पहले रेयर था। यह पहले उन लोगों में दिखता था, जिनका शुगर लेवल ज्यादा हो। यहां इम्युनिटी कम है या कैंसर के मरीज जो कीमोथैरपी पर हैं।

डॉ. गुलेरिया ने कहा, ‘स्टेरॉयड्स के ज्यादा इस्तेमाल करने से अब ब्लैक फंगल के केस सामने आ रहे हैं।’ उन्होने कहा कि आम लोगों को फंगल इंफेक्शन नहीं होता। लेकिन कोविड के कारण केस काफी सामने आ रहे हैं। एम्स में इंफेक्शन के 23 केस हैं। उनमें 20 अभी भी पॉजिटिव हैं। एम्स डायरेक्टर ने कहा, ‘फंगल इंफेक्शन आंख, नाक, गला और फेफड़े पर हो सकता हैं।’

उन्होंने कहा कि स्टेरॉड्स का गलत इस्तेमाल फंगल इंफेक्शन का प्रमुख कारण हैं। डायबिटीज के साथ कोरोना मरीजों को स्टेरॉयड दिया जा रहा है। जिस कारण फंगल का खतरा बढ़ रहा है। गुलेरिया ने कहा कि स्टेरॉयड का मिसयूज होने से रोकना होगा। उन्होंने कहा कि जिनका ऑक्सीजन लेवल कम नहीं है, उन्हें स्टेरॉयड देना बेहद खतरनाक है।