महाराष्ट्र के शिरडी स्थित साईंबाबा जन्मस्थान को लेकर उपजे विवाद पर शिवसेना ने सफाई दी है और कहा कि साईबाबा जन्मस्थान विवाद बेवजह पैदा हुआ था. इसके लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को दोष नहीं दिया जा सकता. यह कोई नहीं बता सकता कि 19वीं सदी के इस संत का जन्म वास्तव में शिरडी में हुआ था या नहीं.
बाबा की कृपा से थम गया विवाद
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है कि संत साईंबाबा के जन्मस्थान को लेकर जो विवाद शुरू हुआ था, वह बाबा की कृपा से थम गया. शिरडी साईंबाबा की बदौलत समृद्ध हुआ. जिस शहर में संत की मृत्यु हुई, वहां की समृद्धि को कोई छीन नहीं सकता. साईंबाबा संस्थान की संपत्ति 2600 करोड़ रुपये से ज्यादा है, जिससे सामाजिक कार्य किए जाते हैं.
उद्वव ने पाथरी को नहीं बताया था साईबाबा का जन्मस्थान
मुख्यपत्र सामना के संपादकीय में आगे लिखा है, उद्धव ठाकरे ने पाथरी को साईं का जन्मस्थान नहीं बताया था, बल्कि इसका आधार कुछ इतिहासकारों के मत थे. परभणी के सरकारी गजट में जिक्र है कि कुछ लोगों के मुताबिक, पाथरी जन्मस्थान हो सकता है. इस गजट को उद्धव ठाकरे ने प्रकाशित नहीं कराया था. इसलिए उन पर दोष नहीं मढ़ा जा सकता.
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