निर्भया केस : कानून जब जीने का अधिकार देता है तो फांसी देना पाप-जज

निर्भया के दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की याचिका को पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर कानून दोषियों को जीने की इजाजत देता है तो उन्हें फांसी पर चढ़ाना पाप होगा।

दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई

दरअसल, दिल्ली सरकार की तरफ से कोर्ट में याचिका दायर कर दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की मांग की गई थी, ताकि निर्भया के गुनहगारों को जल्दी फांसी मिल सके. कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील ने अपनी दलील में कहा कि अब किसी भी दोषी की कोई भी याचिका किसी भी कोर्ट में लंबित नहीं है, लिहाजा कोर्ट नया डेथ वारंट जारी करने के लिए स्वतंत्र है.

सरकारी वकील की इस दलील पर कोर्ट ने पूछा कि क्या एक दोषी की दया याचिका और क्यूरेटिव लगनी बाकी है? यह कैसे माना जाए कि दोषी नई याचिका नहीं लगाएंगे? इस पर सरकारी वकील ने कहा कि कोर्ट या तिहाड़ प्रशासन किसी भी दोषी को याचिका लगाने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं।

बता दें कि निर्भया के चार दोषियों में से अक्षय, मुकेश और विनय अपने कानूनी अधिकारों का प्रयोग कर चुके हैं. जबकि चौथे दोषी पवन ने अभी तक क्यूरेटिव और दया याचिका के अधिकार का प्रयोग नहीं किया है. बावजूद इसके निर्भया के चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की मांग की गई।