निचली अदालत में जिला जज की सीधी नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, वकालत में 7 साल की प्रैक्टिस जरूरी

 

सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों में एडीजे यानी एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज और इससे उपर के पदों पर भर्ती को लेकर अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अधीनस्थ न्यायालय से जिला जज के तौर पर सीधी नियुक्ति योग्य नहीं मानी जा सकती. इसकी योग्यता के लिए वकालत में 7 साल की प्रैक्टिस जरूरी है.

सुप्रीम कोर्ट ने रखी नई शर्त

अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट या मुंसिफ के रूप में अगर सेवा में हैं तो जिला जज के पद के लिए सीधे तौर पर उनकी नियुक्ति नहीं हो सकती. उन्हें भी बाकी उम्मीदवारों की तरह 7 साल की प्रैक्टिस के बाद इम्तिहान पास होने की शर्त पूरी करनी होगी. अधीनस्थ न्यायपालिका के सदस्य, वकीलों के लिए डिस्ट्रिक्ट जज पद पर सीधी भर्ती परीक्षा में हिस्सा नहीं ले सकते. हायर ज्युडिशियल सर्विस में वकीलों की सीधी भर्ती परीक्षा के लिए 7 साल की वकालत का अनुभव जरूरी है.

अयोग्य करार दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट में पांच एडीजे की भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे. इसमें शर्त रखी गई थी कि इस पद के लिए वकील को उम्र और शैक्षणिक योग्यता के अलावे 7 साल की प्रैक्टिस होना अनिवार्य है स्पेशल रेलवे मजिस्ट्रेट हरियाणा नीतिन राज सहित कई जजों ने भी इसी पद के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहा. लेकिन हाईकोर्ट ने इनकी आवेदन को स्वीकार नहीं किया गया. एडीजे की परीक्षा के लिए योग्य नहीं होने पर एसआरएम नीतिन राज ने 23 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.