
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शंकर सिंह वाघेला ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी की सक्रिय सदस्यता भी छोड़ दी है। वाघेला गुजरात में एनसीपी अध्यक्ष के पद पर जयंत पटेल उर्फ बोस्की की नियुक्ति के बाद से ही पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। माना जा रहा है कि यह इस्तीफा उसी नाराजगी का परिणाम है।
कांग्रेस छोड़कर एनसीपी में शामिल हुए थे बघेला
गुजरात की राजनीति में दिग्गज नेता माने जाने वाले वाघेला कांग्रेस का साथ छोड़कर एनसीपी में शामिल हुए थे। शुरुआत में आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के सक्रिय सदस्य रहे वाघेला इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी के टिकट पर कपडवंज से पहली बार सांसद बने थे। हालांकि, साल 1980 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। साल 1980 से 1991 तक वाघेला गुजरात में भाजपा के महासचिव और अध्यक्ष रहे। साल 1984 से 1989 तक वह राज्यसभा के सदस्य भी रहे। साल 1989 में वह गांधीनगर लोकसभा सीट से और साल 1991 में वह गोधरा लोकसभा सीट से जीते थे।
साल 1995 में जब गुजरात में भाजपा ने 182 में से 121 सीटों पर जीत हासिल की को विधायकों ने वाघेला को ही नेता चुना था। लेकिन, पार्टी ने केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री की कुर्सी दे दी थी। इससे नाराज वाघेला ने सितंबर 1995 में 47 विधायकों के साथ भाजपा से विद्रोह कर दिया था। हालांकि, बाद में समझौता हुआ और वाघेला के साथी सुरेश मेहता को सीएम बना दिया गया। साल 1996 का लोकसभा चुनाव वाघेला हार गए और उन्होंने भाजपा का साथ भी छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय जनता पार्टी नाम से अपने राजनीतिक दल का गठन किया और अक्तूबर 1996 में कांग्रेस के समर्थन के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे।
शंकर सिंह बघेला ने कब कौन-सी पार्टी छोड़ी
शंकर सिंह ने सबसे पहले भाजपा (जनसंघ) से जुड़कर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। बाद में वह कांग्रेस से जुड़े और केंद्र में कपड़ा मंत्री बने थे। साल 2017 में कांग्रेस को छोड़ा और जन विकल्प पार्टी की स्थापना की। मगर विधानसभा चुनाव में जब कुछ नहीं हुआ तो जून 2019 में वह एनसीपी के साथ जुड़ गए थे। हालांकि, एक ही साल में यहां से भी इस्तीफा दे दिया।
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