गलवान घाटी से चीनी सैनिकों के पीछे हटने पर आया चीन का बयान, कहा- दोनों देशों की सहमति के बाद लौटे जवान

चीन के ग्लोबल टाइम्स ने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान के हवाले से लिखा, भारत और चीन की सेनाओं के बीच 30 जून को तीसरी कमांडर स्तर की वार्ता में सीमा विवाद और जवानों को पीछे हटने को लेकर सहमति बनी. इस पर दोनों देशों ने प्रभावी उपायों के साथ प्रगति की है.
बता दें कि, गलवां घाटी में चीनी सैनिक अपने स्थान से पीछे हट रहे हैं. भारतीय सेना भी अपने स्थान से पीछे हटी है. बताया जा रहा है कि 48 घंटों तक चली गहन कूटनीतिक चर्चा, सैन्य जुड़ाव और संपर्क के चलते चीनी सैनिक पीछे हटने को तैयार हुए हैं. इन बैठकों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लेह यात्रा हुई, जिससे चीन को एक निर्णायक और दृढ़ संदेश गया.

कूटनीतिक, सैन्य बातचीत और संपर्कों का भी परिणाम

वहीं एलएसी पर विवाद को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रविवार को वीडियो कॉल पर चीनी विदेश मंत्री और राज्य के काउंसलर वांग यी के साथ बातचीत की. सूत्रों का कहना है कि बातचीत सौहार्दपूर्ण और दूरंदेशी तरीके से हुई. एनएसए डोभाल और वांग यी के बीच बातचीत का केंद्र स्थिरता और शांति की पूर्ण और स्थायी बहाली और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एक साथ काम करने पर था. बातचीत के बाद सोमवार को चीनी सेना कुछ किलोमीटर पीछे हट गई है. यह पिछले 48 घंटों में हुई गहन कूटनीतिक, सैन्य बातचीत और संपर्कों का भी परिणाम है.

वहीं चीन के पूर्वी लद्दाख में कुछ प्वाइंट पर पीछे हटने के संकेत पांच दिन पहले हुई कॉर्प्स-कमांडर स्तर की वार्ता में मिल गए थे. जब दोनों देशों की सेनाएं चरणबद्ध तरीके से पीछे हटने के लिए तैयार हुई थीं. इसके तहत, दोनों पक्षों को मैनपावर और संरचनाओं को वापस लेना था और पांच जुलाई को इसका एक सत्यापन किया जाना था। सूत्रों ने कहा, ’सेना की टीमें कुछ प्वाइंट्स पर सत्यापन करने के लिए गईं, जहां सेनाओं के बीच गतिरोध जारी है।’