भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, कट्टरता फैलाने की जगह नहीं : इम्पार

  • धार्मिक उन्माद और कट्टरता फैलाने वाले समाज और संविधान विरोधी हैं
  • इम्पार भारतीय संविधान को सर्वोच्च मानता है
  • इस्लाम का सही अर्थ समझाने में जुटा है इम्पार

कुछ राजनीतिक पार्टियों के अंदर आ रहे कट्टरता के भाव जो पिछले कुछ दिनों में मीडिया के एक धड़े के ज़रिये से सामने आये हैं उस पर चिंता प्रकट करते हुए इंडियन मुस्लिमस फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) ने कहा है कि ऐसी चीजें समाज के लिए हानिकारक हैं। इम्पार की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिस तरह से कुछ पॉलिटिकल पार्टियां समाज के एक धड़े के अंदर कट्टरता का भाव पैदा कर के उसको भुनाने के प्रयास में समाजिक एकता को दूषित कर रही हैं, वह इस बात को दर्शाता है कि यह सीधे-सीधे समाज को बाँट कर राजनितिक उपयोग की चेष्टा है, जो भारत के प्रजातांत्रिक मूल्यों से टकराने की कोशिश है और समाज विरोधी नीति है। ऐसे में लोगों को चाहिए कि इन के खिलाफ खड़े हों, ताकि सामाजिक एकता और अखंडता को खंडित करने व भारत की गंगा जमुनी सभ्यता को दूषित करने वाली शक्तियों का मनोबल टूटे और समाज में एकता और संविधान से प्रेम का भाव गहरा हो।

देशहित में नहीं है सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन

इम्पार की ओर से जारी बयान में कहा गया है इम्पार भारतीय संविधान को सर्वोच्च मानता है और प्रजातांत्रिक व्यवस्था को चैलेंज करने वालों को भारत की सामाजिक एकता के लिए ठीक नहीं मानता है। इम्पार की ओर से कहा गया है कि जिस तरह से कुछ मीडिया संस्थान साम्प्रदायिक विज्ञापनों व समाचारों को बढ़ावा दे रहे हैं, वह देश हित में अच्छा नहीं कर रहे हैं। उन्हें इस पर पुनः विचार करना चाहिए। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जिस का कोई धर्म नहीं है लेकिन यह बड़ी विडंबना और दुःखद घटना है कि कुछ लोग बार बार ऐसे समाचारों, विज्ञापनों और नीतियों को बढ़ावा दे रहे हैं जो भारत की प्रगति के लिए ठीक नहीं हैं। ज्ञात रहे कि इम्पार का यह बयान उत्तर प्रदेश के एक राजनीतिक दल द्वारा 3 दिन पूर्व उर्दू के कुछ अखबारों में दिए गए विज्ञापनों जिस में धर्म आधारित व्यवस्था की बात कही गई थी के संदर्भ में दिया गया है।

इस्लाम का सही अर्थ समझाने में जुटा है इम्पार

इम्पार ने एक बार फिर अपनी नीतियों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह भारतीय मुसलमानों के अंदर प्रगतिशील सोच को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है और वह उन शक्तियों को इस्लाम और मुसलमान होने का सही अर्थ समझाने की कोशिश कर रहा है जो इस्लाम और मुसलामानों पर संकीर्ण मानसिकता का आरोप लगाते रहे हैं। इम्पार ने कहा है कि ऐसे तत्व जो अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए भारत के बदलते परिपेक्ष में मुसलामानों का इस्तेमाल करने के लिए अपनी व्यपार नीतियों का निर्माण कर रहे हैं वह इस धोके में हैं कि मुसलमान उन के बहकावे में आजाऐंगे। वह यह भूल जाते हैं कि भारतीय मुसलामानों का संविधान में अटूट विशवास है और वह भारत की सामाजिक एकता और साझा संस्कृति के प्रति समर्पित हैं और वह इस भाव को आगे बढ़ाने पर ज़ोर भी दे रहे हैं, जिस से सामाजिक सौहार्द बना रहे।

मंदिर-मस्जिद की राजनीति करके धार्मिक उन्माद को बढ़ावा दे रहे लोग

इम्पार ने कहा है कि ऐसी राजनीतक शक्तियों से अपेक्षा की जाती है कि वह मुस्लिम समाज के आर्थिक और सामाजिक उन्नति के लिए सोचें और समाज को बांटने के बजाये समाज को जोड़ने के लिए काम करें। इम्पार ने कहा है कि जो लोग मंदिर मस्जिद की राजनीति करके धार्मिक उन्माद और धार्मिक मुद्दों को बढ़ावा देकर भारत की सामाजिक एकता को चोट पहुंचा कर 21वीं सदी में भारत के विश्व गुरु होने के सपने को साकार नहीं होने देना चाहते हैं वह अति चिंताजनक और निंदनीय है। ऐसी धार्मिक और ध्रुवीकरण की परियोजनाओं पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले लोगों को समझना चाहिए कि आज उन्हें देश के सामाजिक ताने-बाने को चोट पहुंचाने के बजाय देश के विकास के लिए काम करने की जरूरत है, क्योंकि इस समय जबकि देश में आर्थिक संकट से जूझ रहा है। सीमा से लेकर देश के सामने कई विदेशी चुनौतियां हैं, ऐसे समय में इन शक्तियों को प्यार और प्रेम के सौहार्द को बढ़ावा देकर ऐसे मूल्यों को आगे बढ़ाना चाहिए जिस से 21वीं सदी में भारत दुनिया का नेतृत्व कर सके। इम्पार ने कहा है कि धुर्वीकरण की राजनीति करने वाले लोगों ने अगर ऐसी चुनौतियों को हल्के में लिया तो भारत का विश्व गुरु होने का सपना कमज़ोर होगा।

दुनिया का नेतृत्व करने का भारत के पास सुनहरा मौका

इम्पार ने कहा है कि आज भारत के सामने दुनिया का नेतृत्व करने का सबसे सुनहरा मौका है, क्योंकि दुनिया भारत की ओर देख रही है और अगर भारत में बेरोजगारी और आर्थिक संकट रहा, सीमा से लेकर कई विदेशी मोर्चों पर चुनौतियां रहीं तो यह हमारे लिए अच्छा नहीं होगा और हम अपने विश्व गुरु होने के सपने को पूरा नहीं कर पाएंगे। इम्पार इस बात के लिए वचनबद्ध है कि देश के संस्थान मजबूत हों, क्योंकि इम्पार का यह मानना है कि जब देश के संस्थान मजबूत होंगे तो देश का लोकतंत्र भी मजबूत होगा और देश के लोकतंत्र की मजबूती देश के गरीबों पिछड़ों और शोषित वंचित व पीड़ित वर्ग के समुदायों की देश के संविधान में आस्था को और मजबूत करेगी।

इम्पार ने कहा है कि भारत का संविधान सभी धर्मों के मानने वालों को उस पर चलने की पूरी स्वतंत्रता देता है लेकिन राष्ट्र का कोई धर्म नहीं है, इस लिए जो लोग भी प्रजातांत्रिक मूल्यों के विरूद्ध में लगे हैं या ऐसी बातों को बढ़ाने की बात करते हैं, ऐसे लोग सामाजिक एकता और गंगाजमुनी सभ्यता के दोस्त नहीं हो सकते।