प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार देश में एक साथ चुनाव कराने की वकालत कर चुके हैं। उन्होंने इसपर कदम बढ़ाते हुए पीएमओ में इस महीने हुई बैठक में एक आम मतदाता सूची तैयार करने पर चर्चा की। इस सूची का इस्तेमाल लोकसभा, विधानसभाओं सहित सभी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए हो सकता है। सरकार ने आम मतदाता सूची और एक साथ चुनावों के खर्च और संसाधन बचाने के तरीके के तौर पर पेश किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में हुई बैठक में इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों में बदलाव को लेकर चर्चा हुई।
अनुच्छेद 243के और 243जेडए में बदलाव !
13 अगस्त को पीएम मोदी के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा की अध्यक्षता में बैठक हुई थी जिसमें दो विकल्पों पर चर्चा हुई। पहला, संविधान के अनुच्छेद 243के और 243जेडए में बदलाव किया जाए ताकि देश में सभी चुनावों के लिए एक मतदाता सूची अनिवार्य हो जाए। दूसरा, राज्य सरकारों को उनके कानून में बदलाव करने के लिए मनाया जाए ताकि वे नगर निगमों और पंचायत चुनावों के लिए चुनाव आयोग की मतदाता सूची का इस्तेमाल करें। बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा, विधान सचिव जी नारायण राजू, पंचायती राज सचिव सुनील कुमार और चुनाव आयोग के तीन प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
वहीं संविधान के अनुच्छेद 324(1) में केंद्रीय चुनाव आयोग को संसद और विधानसभाओं के सभी चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने और नियंत्रित करने के अधिकार दिए गए हैं। इसका मतलब है कि स्थानीय निकाय चुनाव के लिए आयोग राज्य स्तर पर स्वतंत्र हैं और उन्हें केंद्रीय चुनाव आयोग से किसी तरह की इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं है।
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