राजस्थान में कांग्रेस शासित राज्यों में सियासी संकट के बाद अब झारखंड में भी सरकार पर खतरा मंडराने लगा है। झारखंड में महागठबंधन से बनी हेमंत सोरेन सरकार की सहयोगी कांग्रेस के नौ विधायकों ने बगावती तेवर अपना लिए हैं और मामला दिल्ली तक पहुंच गया है। राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू के नेतृत्व में कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और उमाशंकर अकेला के साथ धीरज साहू झारखंड की हेमंत सरकार की शिकायत लेकर दिल्ली पहुंचे।
हेमंत सोरेन सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकती है विधायकों की नाराजगी
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इन नौ विधायकों की नाराजगी हेमंत सोरेन सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। तीनों विधायक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और गुलाब नबी आजाद से मुलाकात कर झारखंड लौटे हैं। हालांकि दिल्ली जाने वाले विधायकों ने चुप्पी साध रखी है। विधायकों ने आलाकमान से गुहार लगाई है कि सरकार में उनकी नहीं सुनी जाती है। कांग्रेस के विधायकों के साथ रवैया ठीक नहीं रहता है। सरकार में मंत्री का एक पद खाली है।
पार्टी के प्रदेश प्रभारी आरपी सिंह से भी विधायकों की नाराजगी
कांग्रेस विधायकों की नाराजगी सरकार के कामकाज के अलावा पार्टी के प्रदेश प्रभारी आरपी सिंह से भी हैं। इन विधायकों को ऐसा महसूस हो रहा है कि कांग्रेस प्रभारी ही सरकार और मंत्रियों पर दबाव बनाने की उनकी हर कोशिश को विफल कर दे रहे हैं। इसलिए दिल्ली गए इन विधायकों ने कांग्रेस प्रभारी से मुलाकात करने की जगह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल, गुलाब नबी आजाद और वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से मुलाकात की.
सरकार पर क्या होगा असर
झारखंड में जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी महागठबंधन की सरकार है। विधानसभा की मौजूदा स्थिति में झारखंड मुक्ति मोर्चा के 30 विधायक हैं, कांग्रेस के 16 और आरजेडी के एक विधायक हैं। भाजपा के पास 25 सीटें हैं। 81 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 42 है। इसलिए इन आंकड़ों को देखकर लगता है कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी महागठबंधन सरकार को फिलहाल कोई संकट नहीं है।
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