महान साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणु की आज जन्मशती है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 01 अणे मार्ग स्थित लोक संवाद में फणीश्वर नाथ रेणु जी के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें शत् – शत् नमन किया एवं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुमार कुशवाहा, पूर्व विधान पार्षद संजय कुमार सिंह उर्फ गांधी जी उपस्थित थे।
अररिया के औराही हिंगना में हुआ था फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म
साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म बिहार के अररिया जिले के औराही हिंगना में 4 मार्च 1921 को हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा फारबिसगंज और अररिया में पायी और नेपाल के विराटनगर आदर्श विद्यालय से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पूरी करके वो सोशलिस्ट पार्टी से जुड़ गये और सक्रिय राजनीति में उतर गये।
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी रेणु रहे सक्रिय
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी रेणु जी सक्रिय रहे और आजादी बाद 1950 में हुए नेपाली दमनकारी सत्ता के विरूद्ध सशस्त्र क्रांति के सूत्रधार भी रहे। शोषण और दमन के विरूद्ध उनका यह संघर्ष आजीवन जारी रहा, जो उनकी लेखिनी में भी स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष होता है।
मैला ऑचल रेणु का सबसे चर्चित उपन्यास
1954 में फणीश्वरनाथ रेणु का सबसे चर्चित उपन्यास ‘मैला आँचल’ प्रकाशित होता है जिससे उन्हें हिन्दी के कथाकार प्रतिष्ठा मिलती है। मैला आंचल के लिए ही उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आगे चलकर उन्होंने जे. पी. आन्दोलन में भी सक्रिय भागीदारी दी और सत्ता के दमन चक्र के विरोध में पद्मश्री का त्याग कर दिया।
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