कानून में बदलाव होने पर भी शराबी शुधारने का नाम नही ले रहे , जानिए क्या है मामला …

पूर्ण शराबबंदी के बावजूद बिहार में प्रत्येक 100 लोगों की जांच में 11 लोग शराब के नशे में पाए जा रहे हैं। पुलिस और उत्पाद विभाग के द्वारा किए जाने वाले ब्रेथ एनालाइजर जांच के बाद यह आंकड़ा निकलकर सामने आया है। इधर, सरकार ने कानून में संशोधन कर यह छूट दी कि पहली बार शराब पीने वालों को जुर्माना देने पर छोड़ा जा सकेगा।

11 महीने में 11 लाख लोगों की जांच करने पर आया यह नतीजा …

मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अनुसार, इस साल दो जनवरी से 12 नवंबर के बीच पूरे राज्य में 11 लाख 12 हजार 297 लोगों की ब्रेथ एनालाइजर से जांच की गई। इनमें नौ लाख 20 हजार 962 व्यक्तियों की रिपोर्ट निगेटिव पाई गई जबकि एक लाख 25 हजार 103 व्यक्तियों की रिपोर्ट पाजिटिव पाई गई। यानी करीब 11.34 प्रतिशत लोगों में शराब पीने की पुष्टि हुई।

कानून में बदलाव से हालात में कोई सुधर नही….

इसी साल अप्रैल में शराबबंदी कानून में संशोधन किया गया। इसमें पहली बार शराब पीने वालों को जुर्माना देकर छोड़ने का प्रविधान जोड़ा गया। हालांकि इसके बावजूद शराब पीने वालों के आंकड़ों में कोई खास बदलाव नहीं आया। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, एक मई से 12 नवंबर के बीच ब्रेथ एनालाइजर से जिलों में नौ लाख 56 हजार 640 व्यक्तियों की जांच की गई। इनमें आठ लाख 43 हजार 200 व्यक्तियों की रिपोर्ट निगेटिव आई जबकि एक लाख 13 हजार 440 व्यक्तियों की रिपोर्ट पाजिटिव पाई गई। इस दौरान भी शराब पीने वालों का आंकड़ा करीब 11.85 प्रतिशत रहा।

हर दिन होती है लगभग 751 गिरफ्तारी….

शराबबंदी को लेकर सिर्फ अक्टूबर माह में एक लाख 22 हजार 432 छापेमारी की गई है। इस दौरान पुलिस और उत्पाद टीम ने कुल 38 हजार 116 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। सिर्फ मद्य निषेध विभाग के द्वारा हर दिन औसत 750 गिरफ्तारी उत्पाद अधिनियम के तहत की जा रही है।

अक्टूबर में कुल तीन लाख 20 हजार लीटर से अधिक देसी-विदेशी शराब भी जब्त की गई है। एक अप्रैल को शराबबंदी संशोधन कानून के बाद से 12 नवंबर तक 754 लोगों को दोबारा शराब पीने के जुर्म में पकड़ा गया है। इनमें उत्पाद टीम ने 349 जबकि पुलिस ने 405 रिपीट आफेंडर्स को पकड़ा है।