नागरिकता संशोधन कानून को लेकर केरल विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और प्रदेश की एलडीएफ सरकार के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल यह विवाद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के अभिभाषण में सीएए के जिक्र से उपजा है।
विपक्षी दल यूडीएफ ने सदन में की नारेबाजी
कानून का विरोध करते हुए विपक्षी दल यूडीएफ के विधायकों ने सदन में जमकर नारेबाजी की। उन्होंने राज्यपाल के सदन में आते ही उनका रास्ता रोक दिया और उनके खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान विधायकों ने ’रिकॉल गवर्नर’ के स्लोगन लगे पोस्टर्स भी लहराए।
इससे पहले मंगलवार को राज्यपाल ने केरल विधानसभा में अपने अभिभाषण में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव के जिक्र वाला पैराग्राफ पढ़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने सीएम पिनराई विजयन को पत्र लिखकर कहा कि भाषण के इस हिस्से को उनकी मंजूरी नहीं है।
भाषण में सीएए को भेदभावपूर्ण बताया गया!
बता दें कि बजट सत्र की शुरुआत से पहले मंत्रिपरिषद द्वारा तैयार राज्यपाल के अभिभाषण में नागरिकता संशोधन कानून को ’असंवैधानिक’ और ’भेदभावपूर्ण’ बताया गया है। वहीं, राज्यपाल कानून के संबंध में ऐसी राय नहीं रखते। एलडीएफ सरकार के सूत्रों ने बताया कि राजभवन ने सीएमओ को मंगलवार को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें राज्यपाल ने मंत्रिमंडल द्वारा तैयार राज्यपाल के भाषण में सीएए को लेकर सरकार का पक्ष रखे जाने के मसले पर सीएम विजयन के स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया है।
सीएम ऑफिस ने किया स्पष्ट
इससे पहले सोमवार को सीएम से स्पष्टीकरण मांगे जाने पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय ने राजभवन को सूचित किया था कि कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए अभिभाषण को सदन में राज्यपाल को बिना किसी बदलाव के ही पढ़ना चाहिए। इस पर राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि वह प्रदेश सरकार की नीतियों और योजनाओं को लेकर ही मंत्रिमंडल या सदन के सदस्यों की सलाह को मानने के लिए बाध्य हैं।
राज्यपाल का जवाब
राज्यपाल ने कहा कि न तो सुप्रीम कोर्ट और न ही संविधान का आर्टिकल 176 (1) उन्हें इस बात के लिए बाध्य करता है कि वह बाहरी विषयों को लेकर प्रदेश सरकार के पक्ष और उसकी नीतियों को अपने भाषण में शामिल करें। राज्यपाल ने कहा कि मंत्रिमंडल ने भाषण में सीएए के जिक्र के जरिए नीतियों और योजनाओं के साथ अपनी राय को मिलाने की कोशिश की है। बता दें कि राज्यपाल के अभिभाषण के जिस हिस्से पर विवाद की स्थिति बनी है, उसमें राज्य सरकार द्वारा नागरिकता कानून के खिलाफ सदन में पारित रिजॉल्युशन का जिक्र किया गया है और कानून को ’असंवैधानिक’ और ’भेदभावपूर्ण’ बताया गया है।
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