मैसूर विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि मैसूर यूनिवर्सिटी, प्राचीन भारत की समृद्ध शिक्षा व्यवस्था और भविष्य के भारत की महत्वाकांक्षाओं का प्रमुख केंद्र है. इस यूनिवर्सिटी ने ’राजर्षि’ नालवाडी कृष्णराज वडेयार और एम. विश्वेश्वरैया जी के विजन और संकल्पों को साकार किया है. पीएम मोदी ने कहा बीते 6 साल में औसतन हर साल एक नई आईआईटी खोली गई है।
उन्होंने आगे कहा, ’हमारे यहां शिक्षा और दीक्षा, युवा जीवन के दो अहम पड़ाव माने जाते हैं. ये हजारों वर्षों से हमारे यहां एक परंपरा रही है. जब हम दीक्षा की बात करते हैं, तो ये सिर्फ डिग्री प्राप्त करने का ही अवसर नहीं है. आज का ये दिन जीवन के अगले पड़ाव के लिए नए संकल्प लेने की प्रेरणा देता है. अब आप एक फॉर्मल यूनिवर्सिटी कैंपस से निकलकर, रियल लाइफ यूनिवर्सिटी के विराट कैंपस में जा रहे हैं. ये एक ऐसा कैंपस होगा जहां डिग्री के साथ ही, आपकी योग्यता और काम आएगी.’
हर 6 साल में खुली आईआईटी
पीएम मोदी ने कहा, ’आजादी के इतने वर्षों के बाद भी साल 2014 से पहले तक देश में 16 आईआईटी थीं. बीते 6 साल में औसतन हर साल एक नई आईआईटी खोली गई है. इसमें से एक कर्नाटका के धारवाड़ में भी खुली है. 2014 तक भारत में 9 आईआईटी थीं. इसके बाद के 5 सालों में 16 आईआईटी बनाई गई हैं. बीते 5-6 साल में 7 नए आईआईएम स्थापित किए गए हैं जबकि उससे पहले देश में 13 आईआईएम ही थे. इसी तरह करीब 6 दशक तक देश में सिर्फ 7 एम्स देश में सेवाएं दे रहे थे. बीते 5-6 सालों से उच्च शिक्षा में हो रहे प्रयास सिर्फ नए संस्थान खोलने तक ही सीमित नहीं है।’
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