झारखण्ड से बंटवारे के बाद बिहार का हरित आवरण 9 % से बढकर पिछले साल हुआ 15 % , इसे जल्द ही 17 % करने का लक्ष्य : नीतीश कुमार

राज्य के साथ राजधानी पटना में कोरोना संक्रमण के केस लगातार कम होते जा रहे हैं। इससे जिले के लोगों ने बड़ी राहत की सांस ली है। हालांकि शहर की तुलना में ग्रामीण इलाकों में केस ज्यादा तेजी से कम हुए हैं। वहीं कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए राज्य में लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है। आज कल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोशल मीडिया खासा एक्टिव दिख रहे हैं। वहीं, लगातार देखने को मिल रहा है कि वह सोशल मीडिया के माध्यम से बिहारवासियों से सीधा संपर्क साध रहे हैं, सोमवार को लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से की। सोमवार को ही बिहार में हरयाली चिंता सताने लगी, उन्होंने बिहार में हरयाली को लेकर शाम करीब 10.27 ट्वीट कर लिखा कि झारखण्ड से बंटवारे के बाद बिहार का हरित आवरण 9 प्रतिशत रह गया था। 2012 में बिहार में हरियाली मिशन की शुरुआत की गयी और 24 करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया, जिसमें 22 करोड़ से ज्यादा वृक्षारोपण किया गया।

उन्होंने इसके बाद अपने दुसरे ट्वीट मैं लिखा कि पृथ्वी दिवस, 9 अगस्त 2020 तक 2.51 करोड़ पौधे लगाये जाने के लक्ष्य के विरुद्ध 3.47 करोड़ पौधे लगाये गये। अब राज्य का हरित आवरण 15 प्रतिशत हो गया है और 17 प्रतिशत हरित आवरण प्राप्त करने के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है।

आने वाली पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए कुछ करने का वक्त है 

गौरतलब है कि कोरोना काल शरू होने से पहले नीतीश कुमार ने कहा था कि यह वक्त आने वाली पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए कुछ करने का है। हमें समझना होगा कि जब जल और हरियाली कायम रहेगी, तभी जीवन भी बचेगा। पर्यावरण संकट और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ ऐसा अभियान शुरू करने वाला बिहार पहला राज्य है। जैसे हर घर बिजली और हर घर नल का जल योजना को देश ने अपनाया है, वैसे ही जल-जीवन-हरियाली को भी देश फॉलो करेगा।

इस अभियान के जरिए राज्य के सभी जिलों, प्रखंडों और पंचायत स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए कम से कम एक योजना की शुरुआत जरूर हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण में असंतुलन की समस्या पूरी दुनिया की है। बिहार ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचने जैसा कोई काम नही किया है लेकिन फिर भी हमारा राज्य पर्यावरण का असंतुलन का शिकार हो रहा है। आज आसमान में जो बादल दिख रहे हैं, यह लक्षण ठीक नहीं है। यह भी पर्यावरण संकट का ही संकेत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में जब सूखा और बाढ़ से त्रासदी की समस्या बढ़ने लगी तो हमने जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की। बिहार में हरित आवरण को बढ़ा कर 17 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए राज्य में 24 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया। इसमें से 19 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं।

एक पेड 20 किलो धूल सोखता है, 700 किलो ऑक्सीजन छोड़ता

दरअसल एक पेड़ साल में 20 किलो धूल सोखता है। 700 किलो ऑक्सीजन छोड़ता है तो 20 हजार किलो कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है। गर्मियों में एक पेड़ के पास सामान्य से लगभग 4 डिग्री कम तापमान रहता है। इस तरह घर के पास 10 पेड़ लगे हों तो आदमी की उम्र 7 साल तक बढ़ जाएगी। गौरतलब है कि राज्य में पर्यावरण संतुलन, पर्याप्त जल और हरित आवरण बढ़ाने के लिए राज्य में जल-जीवन-हरियाली अभियान शुरू किया गया था। साथही 2022 तक तीन वर्षों में जल जीवन हरियाली योजना 24 हजार 524 करोड़ खर्च होंगे। यह बात ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने विधान परिषद में जल जीवन हरियाली पर आयोजित वाद विवाद में सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कही थी।

मंत्री ने बताया था कि मिशन मोड में इसे पूरा करने के लिए जल जीवन हरियाली मिशन का गठन किया गया है। यह योजना सभी प्रखंडों व पंचायतों के लिए है। मनरेगा के तहत पिछले दो वर्षों में अभियान चला कर 1 करोड़ पौधे लगाए गए। पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ मिल कर 2019-20 में लगभग 1 करोड़ 25 लाख पौधे लगे।