दिल्ली एनसीआर बोर्डर पर किसानों का जमावड़ा, सिंघु और टिकरी बॉर्डर आज भी बंद, राहुल और प्रियंका ने सरकार पर बोला हमला

देश में नए कृषि कानून के विरोध में दिल्ली चलो मार्च के आह्वान पर सिंघु, टीकरी व गाजीपुर बॉर्डर पर लगातार पांचवे दिन जमे हुए हैं. किसानों ने रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सशर्त वार्ता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और सोमवार को भी यहीं जमे हुए हैं। वहीं यूपी गेट पर बैठे किसानों को रोकने के लिए पत्थर के बैरिकेड लगा दिए गए हैं। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने जानकारी दी है कि सोमवार को भी सिंघु व टिकरी बॉर्डर बंद रहेंगे

दिल्ली-एनसीआर के लोगों को हो रही काफी परेशानी

कृषि कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरे किसान अब पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं और दिल्ली में घुसने के लिए अड़े हैं. पहले दिल्ली-हरियाणा के सिंधु बॉर्डर पर किसानों ने बड़ी संख्या में डेरा जमाया, पुलिस से संघर्ष किया. अब गाजीपुर बॉर्डर पर भी ऐसा ही हाल है और किसान यहां पर बैठ गए हैं, जिसके कारण दिल्ली-एनसीआर के लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

टिकरी, सिंधु बॉर्डर पर किसी तरह की ट्रैफिक मूवमेंट की इजाजत नहीं

गाजियाबाद और गाजीपुर को जोड़ने वाली सीमा पर बड़ी संख्या में किसानों ने डेरा जमाया हुआ है. यहां बीती रात बड़ी संख्या में किसान सड़कों पर रहे, कृषि कानून का विरोध किया. रातभर गाना गाया और एक दूसरे का हौसला बढ़ाया. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, टिकरी और सिंधु बॉर्डर पर किसी तरह की ट्रैफिक मूवमेंट की इजाजत नहीं है.

निरंकारी ग्राउंड पर किसानों का आंदोलन जारी

निरंकारी समागम ग्राउंड पर भी किसान डटे हुए हैं और अपना आंदोलन जारी रखे हैं। यह जगह किसानों के प्रदर्शन के लिए सरकार ने नियत की है।

नए कानून को अरबपति मित्रों का होगा फायदा

प्रियंका गांधी ने भी मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया है, ‘नाम किसान कानून लेकिन सारा फायदा अरबपति मित्रों का। कानून बिना किसानों से बात किए कैसे बन सकते हैं? उनमें किसानों के हितों की अनदेखी कैसे की जा सकती है? सरकार को किसानों की बात सुननी होगी। आइए मिलकर किसानों के समर्थन में आवाज उठाएं।’

मोदी सरकार ने किसान पर अत्याचार किए

राहुल गांधी किसानों के आंदोलन को लेकर सोमवार को एक बार फिर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया है। राहुल गांधी ने लिखा, ‘मोदी सरकार ने किसान पर अत्याचार किए- पहले काले कानून फिर चलाए डंडे लेकिन वो भूल गए कि जब किसान आवाज उठाता है तो उसकी आवाज पूरे देश में गूंजती है। किसान भाई-बहनों के साथ हो रहे शोषण के खिलाफ आप भी स्पीक अप फॉर फार्मर्स कैंपेन के माध्यम से जुड़िए।