आपको जानना चाहिए, क्यों खास है पटना का महावीर मंदिर…

बिहार की राजधानी पटना के हृदयस्थली अवस्थित उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध मंदिर है। सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर में रामनवमी के दिन अयोध्या की हनुमानगढ़ी के बाद सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर में आकर शीश नवाने से भक्तों की मनोकामना पूर्ति होती है। इस मंदिर को हर दिन लगभग एक लाख रुपये की राशि विभिन्न मदों से प्राप्त होती है। इस मंदिर को 1730 इस्वी में स्वामी बालानंद ने स्थापित किया था। साल 1900 तक यह मंदिर रामानंद संप्रदाय के अधीन था।

साल 1983 से 1985 के बीच वर्तमान मंदिर का हुआ निर्माण

उसके बाद इसपर 1948 तक इसपर गोसाईं संन्यासियों का कब्जा रहा। साल 1948 में पटना हाइकोर्ट ने इसे सार्वजनिक मंदिर घोषित कर दिया। उसके बाद आचार्य किशोर कुणाल के प्रयास से साल 1983 से 1985 के बीच वर्तमान मंदिर का निर्माण शुरु हुआ और आज इस भव्य मंदिर के द्वार सबके लिए खुले हैं।

मंदिर में सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित

इस मंदिर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है और मंदिर के गर्भगृह में भगवान हनुमान की मूर्तियां हैं। इस मंदिर में सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। यहां की एक खास बात यह है कि यहां रामसेतु का पत्थर कांच के बरतन में रखा हुआ है। इस पत्थर का वजन 15 किलो है और यह पत्थर पानी में तैरता रहता है। यह मंदिर बाकी हनुमान मंदिरो से कुछ अलग है, क्योंकि यहां बजरंग बली की युग्म मूर्तियां एक साथ हैं। एक मूर्ति परित्राणाय साधूनाम् अर्थात अच्छे लोगों के कारज पूर्ण करने वाली है और दूसरी मूर्ति- विनाशाय च दुष्कृताम्बु, अर्थात बुरे लोगों की बुराई दूर करने वाली है।

कुछ  प्रमुख जानकारियां, महावीर मन्दिर के बारे में

लाइव दर्शन के लिए सम्पूर्ण देश से चुने गये मन्दिरों में इसका 7वाँ स्थान है, जहाँ लाइव दर्शन की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।

  • यह उत्तर भारत का पहला मन्दिर है, जहाँ लाइव दर्शन की सुविधा है।
  • यह देश का पहला हनुमान मन्दिर है, जहाँ लाइव दर्शन की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।

अयोध्या के सदियों के ज्ञात इतिहास में यह पहला मन्दिर है जो निःशुल्क भोजन की व्यवस्था उपलब्ध करा रहा है। प्रतिदिन यहा सैकड़ों की संख्या तीर्थयात्री राम-रसोई में सम्मिलित होते हैं तथा महावीर मन्दिर के जनकल्याण के कार्यों को देश के कोने कोने में फैला रहे हैं।

राम रसोई में भोजन करते श्रद्धालु

सम्प्रति जबकि राम-रसोई का सामुदायिक भोजन कोरोना वायरस के कारण बन्द है, इसके द्वारा अयोध्या तथा इसके आसपास के सभी जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रतिदिन 2000 से 3000 लोगों के बीच भोजन वितरित किये जा रहे हैं।

कोरोना वायरस के कारण बंदी में जरूरतमंदों के बाच भोजन-वितरण

यह देश का पहला मन्दिर है, जो मुकदमा जीतने के बाद अयोध्या में तम्बू से अपने नये अस्थायी मन्दिर में आने के उपरान्त पहली रामनवमी के दिन रामलला के भोग के लिए लड्डू और हलवा उपलब्ध करा रहा है। रामलला के इस दैनिक भोग के लिए गोविन्द भोग चावल उपलब्ध कराया गया है जो कैमूर की पहाडियों पर ईशा की पहली शती में निर्मित मुण्डेश्वरी मन्दिर से निकलनेवाले जल से पवित्र जमीन पर उपजता है।

यह देश का पहला मन्दिर है, जो सीतामाता के जन्मस्थान सीतामढी में सीता-रसोई का सफल संचालन कर रहा है। यहाँ सभी तीर्थयात्रियों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है।

यह देश का पहला मन्दिर है, जिसने अयोध्या में राममन्दिर के निर्माण के लिए दिनांक 9 नवम्बर, 2019 को मुकदमा जीतने के तुरत बाद 10 करोड़ रुपया देने का प्रस्ताव दिया। इसने 2 करोड़ की राशि भी उपलब्ध करा दी है।

यह देश का पहला मन्दिर है जिसने रामजन्मभूमि के लिए वाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में तथा उच्चतम न्यायालय में दोनों जगहों पर विधिक सहायता प्रदान की।

यह देश का पहला मन्दिर है जो 18 वर्ष तक  के सभी कैंसर मरोजों के लिए कैशलेस चिकित्सा उपलब्ध करा रहा है।

यह देश का पहला मन्दिर है जो मरीजों के लिए महज 100 रुपये प्रति यूनिट रक्त उपलब्ध करा रहा रहा है तथा अस्पलाल में भर्ती लगभग 600 मरीजों को प्रतिदिन निःशुल्क भोजन की सुविधा दे रहा है।

यह देश का पहला मन्दिर है जो जन्मजात हृदय छिद्रवाले मरीजों की निःशुल्क शल्य चिकित्सा की सुविधा दिनांक 28 मार्च से उपलब्ध कराने जा रहा था, किन्तु कोरोना वायरस के कारण बंदी की स्थिति में इसे टाल दिया गया है। यह स्थिति सामान्य होते ही शीघ्र आरम्भ होगी।

यह उत्तर भारत का पहला मन्दिर है जिसने 5 बड़े अस्पतालों की स्थापना की है- कैंसर अस्पताल (महावीर कैंसर संस्थान,) शिशु एवं मातृत्व अस्पताल (महावीर वात्सल्य अस्पताल) ये दोनों देश के उत्तम अस्पतालों में गिने जाते हैं।

यह देश का पहला मन्दिर है जिसने बहुत पहले 13 जून 1993 को ही दलित पुजारी की नियुक्ति अयोध्या के स्व. रामचन्द्र परमहंस, स्व. योगी अवेद्यनाथ जैसे उस समय के देश के सम्मानित धर्मधुरंधरो की उपस्थिति में की थी।

यह देश का पहला मन्दिर है जिसने कोरोना वायरस से बचाव के लिए 1 करोड़ रुपये का दान किया। इसने बिहार के मुख्यमन्त्री राहत कोष में इस राशि का 26 मार्च, 2020 को अंतरण किया।

कोरोना वायरस से बचाव हेतु मुख्यमन्त्री फंड में महावीर मन्दिर का योगदान
बिहार के मुख्यमन्त्री राहत कोष में 1 करोड़ रुपये

यह देश के गिने चुने मन्दिरों में से एक है जिसने आयास कर सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों के बीच सौहार्द स्थापित करने कार्य किया है।

यह उत्तर भारत का पहला मन्दिर है जो धार्मिक क्रिया-कलापों को जन-कल्याण के कार्यों से जोडा है तथा मन्दिर आय की शेष राशि को वैधानिक रूप से श्रद्धालुओं के हित के लिए खर्च रहा है।

यह देश का एक मात्र हनुमान मन्दिर है जहाँ एक ही गर्भगृह में हनुमानजी के दो विग्रह हैं। यह आस्था है कि इनमें से एक दुष्टों का संहार करते हैं तथा दूसरे भक्तों की कामना पूर्ण करते हैं। इसे ‘मनोकामना-पूरन मन्दिर’ कहा जाता है।

Mahavir Mandir, Hanuman ji
हनुमानजी के दो विग्रह

यह देश के कुछ गिने चुने मन्दिरों में  एक है, जहाँ अन्य प्रतिमाओं के साथ बुद्धदेव की भी पूजा होती है। इस मन्दिर में बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है।

इस मन्दिर में राम को बेर अर्पित करती हुए भक्तिन शबरी की मूर्ति स्थापित है जो सबके द्वारा पूजित है।

रामनवमी के अवसर पर अयोध्या के बाद यहाँ सबसे अधिक श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।

तिरुपति मन्दिर में लड्डू की लोक-प्रसिद्ध बिक्री के अलावा यह देश का दूसरा सबसे बड़ा मन्दिर है जहाँ नैवेद्यम् (भगवान के भोग के रूप में लड्डू) की सबसे अधिक बिक्री होती है।

यह देश के उन मन्दिरों में एक है जो पारम्परिक रूप से तीर्थ नहीं हैं लेकिन कम समय में ही यह इतना स्थापित हो चुका है कि यह देश के दूसरे भागों में भी प्रभावशाली बन गया है।

हर द‌िन यहां करीब 25,000 लड्डूओं की ब‌िक्री

यह मंदिर पटना रेलवे स्टेशन से निकल कर उत्तर दिशा की ओर स्थित है| प्रसिद्ध महावीर मंदिर पटना जंक्शन परिसर से सटे ही बना हुआ है। मंदिर प्राचीन है, जिसे 80 के दशक में नया रंग-रूप दिया गया। पटना आने वाले श्रद्धालु यहां सिर नवाना नहीं भूलते। लाखों तीर्थयात्री इस मंदिर में आते हैं।यहां मंगलवार और शन‌िवार के द‌िन सबसे अध‌िक संख्या में भक्त जुटते हैं। यहां हनुमान जी को घी के लड्डू, नैवेद्यम का भोग लगाया जाता है, ज‌िसे तिरुपति के कारीगर तैयार करते हैं। हर द‌िन यहां करीब 25,000 लड्डूओं की ब‌िक्री होती है।

गौरतलब है कि महावीर मंद‌िर ट्रस्ट के अनुसार इन लड्डूओं से जो पैसा आता है वह महावीर कैंसर संस्‍थान में उन मरीजों पर खर्च क‌िया जाता है जो आर्थ‌िक रूप से कमजोर हैं और कैंसर का इलाज करवाने में सक्षम नहीं हैं।