पान के बहाने नीतीश का तीर उत्तर प्रदेश होते हुए… कहीं और पहुँचने की फ़िराक में!

सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता के दरबार के बीच मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद में पान/स्वांशी समाज के प्रतिनिधिमंडल से शिष्टाचार मुलाकात की। पान समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री को पुष्प गुच्छ, अंगवस्त्र, पाग, प्रतीक चिह्न एवं मिथिला पेंटिंग भेंटकर सम्मानित किया। पान समाज के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुये कहा कि सीएम नीतीश के नेतृत्व में सबका विकास हो रहा है। पंचायती राज व्यवस्था में भी हमलोगों की भागीदारी बढ़ी है। मुख्यमंत्री न्याय के साथ-साथ सबके हित के लिये निरंतर कार्य में लगे हैं।

वहीं सीएम नीतीश ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि राज्य में सभी के हित के लिये लगातार काम किये जा रहे हैं। महिला सशक्तिकरण के लिये भी विशेष कार्य किये गये हैं। जीविका समूह के माध्यम से गांव के गरीब परिवार की महिलाओं का आर्थिक स्वावलंबन हुआ है। अस्पतालों में भी जीविका के माध्यम से महिलाएं गुणवत्तापूर्ण भोजन बनाकर मरीजों को उपलब्ध करा रही है। समाज में कुछ गड़बड़ करने वाले मानसिकता के लोग होते हैं। उन पर नजर रखना है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के लोगों को राज्य में किये गये विकास कार्यों की भी जानकारी दें। सभी लोग आपस में मिल जुलकर रहें और राज्य के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दें। प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों ने मुख्यमंत्री के सामने कुछ समस्यायें रखी, जिसके समाधान के लिये अधिकारियों को मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया।

बिहार की आबादी में इस समाज की 6% है हिस्सेदारी

हालांकि करीब तीन साल पहले पान स्वासी चौपाल बुनकर महादलित समन्वय समिति के प्रतिनिधि सम्मेलन में नेताओं ने समाज की आबादी के हिसाब से सत्ता में हिस्सेदारी की मांग की। मालूम हो कि पूर्व विधान पार्षद रवींद्र कुमार तांती ने पान समाज की भूमिका महत्वपूर्ण बताते हुए कहा था कि समाज को आज तक आबादी के लिहाज से राजनीतिक हिस्सेदारी नहीं मिली। लोकसभा चुनाव में कम से कम पांच सीट की मांग की। कहा कि बिहार में छह फीसदी आबादी के बावजूद यह समाज अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहा है। हालांकि बिहार से कहीं ज़यादा यह समाज का आबादी में हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश, ओड़िसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के साथ गुजरात में देखने को मिलता है।

नीतीश सरकार ने दिया था अनुसूचित जाति का दर्जा 

एक जुलाई 2015 को नीतीश कुमार ने इस जाति के उद्धारक की भूमिका अदा करते हुए इस जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया था। हालांकि केंद्र सरकार ने नीतीश कुमार सरकार को तगड़ा झटका देते हुए प्रदेश की तांती ततवा जाति को अनुसूचित जाति की सूची में पान स्वासी जाति के रूप में अधिसूचित करने की अधिसूचना को खारिज कर दिया। दरअसल, दलित एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता राजीव कुमार पूसा समस्तीपुर के द्वारा दायर किए गए एक आरटीआई आवेदन के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार ने यह जानकारी दी है।

मोदी सरकार की कार्रवाई से समाज ने खुद को उपेक्षित महसूस किया

केंद्र सरकार के द्वारा बिहार राज्य के अनुसूचित जाति वर्ग के सूची में तांती ततवा जाति का नाम शामिल नहीं किया गया है। बताया गया कि भारतीय संराविधान के अनुच्छेद 341 का हवाला देते हुए यह भी बताया कि राज्य सरकारों तथा न्यायालयों को अनुसूचित जाति की सूची में किसी भी प्रकार का संशोधन करने का अधिकार नहीं है। क्योंकि अनुसूचित जातियों की सूची सर्वप्रथम राष्ट्रपति के द्वारा अधिसूचित की गई है इसलिए इसमें कोई भी संशोधन केवल संसद के अधिनियम के द्वारा ही किया जा सकता है।

लाजिमी है इस कार्रवाई से नीतीश कुमार के बिहार सरकार को तगड़ा झटका लगा। वहीं केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से इस कार्रवाई से बिहार में 6% आबादी वाले इस समाज ने अपने आप को उपेक्षित महसूस किया। उत्तर प्रदेश चुनाव करीब होने के साथ वहां की आबादी में बिहार से अधिक हिस्सेदारी रखने वाले पान/स्वांशी समाज का जनता के दरबार के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अपने मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद में समाज के प्रतिनिधिमंडल के रूप में  शिष्टाचार मुलाकात करना एक नए राजनितिक समीकरण की ओर इशारा करता है। साथही जब नीतीश को पीएम मटेरियल बताया जा रहा है ऐसे में कहीं पान के बहाने नीतीश का तीर उत्तर प्रदेश होते हुए कहीं और तो पहुँचने की फ़िराक में तो नहीं है।