मोदी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की जमीन और नॉन-कोर एसेट्स के मोनेटाइजेशन में तेजी लाने के लिए जल्द नेशनल लैंड मोनेटाइजेशन कॉरपोरेशन (NLMC) को स्थापित कर सकती है। इसे डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक एंटप्राइजेज (DPE) के तहत बनाया जाएगा।
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कंपनी पर होगा सरकार का स्वामित्व
नेशनल लैंड मोनेटाइजेशन कॉरपोरेशन 100 फीसदी सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी होगी, जिसमें शुरुआती, ऑथराइज्ड शेयर कैपिटल 5 हजार करोड़ रुपये की होगी और सब्सक्राइब्ड शेयर कैपिटल 150 करोड़ रुपये की रहेगी। इसे एक बोर्ड नियंत्रित करेगा, जिसमें संबंधित मंत्रालयों से सचिव, रियल एस्टेट सेक्टर और इन्वेस्टमेंट बैंकर्स से प्रतिनिधि शामिल होंगे। बोर्ड की अध्यक्षता चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) करेगा, जो इसके रोजाना के कामकाज को देखेगा।
इस संबंध में कैबिनेट नोट तैयार कर लिया गया है और प्रस्ताव को जल्द कैबिनेट से जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट 2021-22 के भाषण में इसके लिए बात कही थी।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने करीब 3,500 एकड़ जमीन रखी
अभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने मोनेटाइजेशन के लिए करीब 3,500 एकड़ जमीन और दूसरे नॉन-कोर एसेट्स को आगे रखा है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के ऐसे एसेट्स को कॉरपोरेशन के पास ट्रांसफर किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, एसेट्स को लीज या किराये पर देने या उन्हें किसी दूसरे तरीके से मोनेटाइज करने का हक नेशनल लैंड मोनेटाइजेशन कॉरपोरेशन के पास होगा। NLMC इसके साथ निवेश और कमर्शियल या रेजिडेंशियल उद्देश्यों के लिए एसेट्स को विकसित भी कर सकता है। NLMC किराये या लीज के जरिए इनकम भी जुटा सकता है।
इसके अलावा कॉरपोरेशन उन सरकारी इकाइयों को मोनेटाइजेशन के लिए सलाह की सेवाएं भी देगा, जिनके पास सरप्लस जमीन और नॉन-कोर एसेट्स मौजूद हैं। नेशनल लैंड मोनेटाइजेशन कॉरपोरेशन ऐसी एजेंसियों से इस काम के लिए शुल्क भी ले सकती है।
आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन प्रोग्राम (NMPP) को पेश किया था. इस प्रोग्राम के जरिए केंद्र सरकार, सरकारी कंपनियों में विनिवेश के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फंड करेगी। सरकार ने प्रोग्राम के तहत उन सरकारी कंपनियों की एसेट की पहचान की है जिससे अगले कुछ सालों में रकम जुटाई जाएगी। सरकार ने इन संपत्तियों के लिए एक समयसीमा निर्धारित की है। सरकार ने तय किया है कि मौजूदा वित्त वर्ष में 88 हजार करोड़ रुपए और अगले चार सालों के अंदर करीब 1.5 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति को मॉनेटाइज किया जाएगा।
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