जदयू के विधायक गोपाल मंडल के बिगड़े बोल, कहा जहरीली शराब पीकर लोग मरेंगे तभी जनसंख्या कम होगी।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले जदयू के पूर्व विधायक श्याम बहादुर सिंह जहां पटना के गांधी मैदान में पियक्कड़ सम्मलेन बुलाने की बात करते नजर आ चुके हैं। वहीं अब नवगछिया से जदयू के विधायक गोपाल मंडल ने बिहार में शराब को लेकर एक विवादित बयान दे दिया है अपने बयान में उन्होंने कहा है कि जहरीली शराब पीकर लोग मरेंगे तभी जनसंख्या कम होगी।

गोपाल मंडल ने कहा कि नीतीश कुमार तो कह ही रहे हैं कि शराब का सेवन करोगे तो मरोगे। इसके बावजूद भी बिहार में दारू बनाया जा रहा है, बेचा जा रहा है। लोग यह जानते हुए अगर दारू खरीद कर पी रहे हैं, तो मरबे करेंगे। पीता काहे है मरने के लिए ये बात होना भी चाहिए, खाली भी जगह होना चाहिए ना। इसी तरह मरते जाएगा तो कुछ तो जनसंख्या घटते जाएगा ना। नीतीश कुमार बोल रहे हैं, हल्ला कर रहे हैं, बंद कर रहे हैं। फिर दारू बनाकर क्यों पीते हो।

दरअसल, इससे पहले भी शराबबंदी पर गोपाल मंडल का विवादित बयान सामने आया था, तब उन्होंने अपनी ही पार्टी के सांसद अजय मंडल के ऊपर शराब बेचने का आरोप लगाया था। वो यही नहीं रुके थे उन्होंने अजय मंडल पर अफीम की खेती करने का भी आरोप लगा दिया था। जिससे जदयू कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं दिख रही थी।

शराब पर बयान देने वाले गोपाल मंडल वही विधायक हैं, जो राजेंद्र नगर (पटना) से नयी दिल्ली जा रही तेजस राजधानी एक्सप्रेस में शराब पीकर अंडरवीयर में घूमते नज़र आये थे। उन पर मारपीट और यात्रियों से गाली गलौज करने का भी आरोप लगा था और उनके खिलाफ प्राथमिकी तक दर्ज की गई थी।

बिहार में साल 2016 से अब तक कई जिलों में नकली शराब से मरने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, हाल ही में बिहार में जहरीली शराब से हुई मौत के आंकड़ों ने राज्य सरकार के कार्यशैली पर कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। इन आंकड़ों को देखकर यह कहा जा सकता है की राज्य सरकार अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगाने में नाकाम रही है। इसी महीने 15 जनवरी को मकर संक्रांति के मौके पर नालंदा के छोटी पहाड़ी गांव में शराब पीने से 13 लोगों की मौत हो गई थी। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर बक्सर में भी जहरीली शराब से कई लोगों की मौत की खबरे सामने आई थी। उसके बाद शासन में विराजमान जनता के नुमाइंदों के ऐसे बोल आखिर कहां तक जायज हैं। शासन की बागडोर को हाथ में लेने वाले मंत्री और नेता ही जब हाथ खड़े करने लगेंगे ऐसे में जनता मदद की गुहार आखिर किससे लगाएगी? अपने दुख के फरियाद को जनता किसे सुनाएगी और किससे उम्मीद लगाएगी इंसाफ का?