गठबंधन की कहानी में कई और मोड़ है , 2024 से पहले ही बदलती दिख रही बिहार की राजनीतिक तस्‍वीर, जानिये क्या है खाबर….

बिहार में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के साथ ही आगे की राजनीति सजने लगी है। गोपालगंज और मोकामा की इन दो सीटों के परिणामों ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। भले ही वहां राजद व भाजपा ने अपनी सीटें बरकरार रखीं, लेकिन वोटों के अंतर ने कई संभावनाओं को जन्म दे दिया है। आगे फिलहाल मुजफ्फरपुर के कुढ़नी में उपचुनाव होना है और उसके बाद लोकसभा चुनाव की ओर सब चलेंगे। लेकिन गठबंधनों का मौजूदा स्वरूप क्या  जस का तस रहेगा ये कहा नहीं जा सकता। गोपालगंज में भाजपा और मोकामा में राजद ने अपनी सीटें बरकरार तो रखीं, लेकिन अंतर दोनों का ही घट गया।

गोपालगंज में लगभग 1800 वोटों से राजद की हार हुई, जबकि पिछली बार भाजपा लगभग 30 हजार वोटों से जीती थी। गोपालगंज सीट राजद को मिल सकती थी, लेकिन उसका माई समीकरण (मुस्लिम-यादव) दरक गया। ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने 12 हजार वोट काट दिए और लालू यादव के साले साधु यादव की पत्नी ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर यादव वोट में भी सेंध लगा दी। ओवैसी पिछले विधानसभा चुनाव में भी राजद के लिए रोड़ा बन गए थे, इसलिए वह सत्ता हासिल नहीं कर सका था। हालांकि बाद में ओवैसी के पांच में से चार विधायक राजद में शामिल हो गए, परंतु ओवैसी खतरा हैं, इसमें कोई संदेह नहीं।

राजद भी इसे महसूस कर रहा है, क्योंकि ओवैसी भले न जीतें, परंतु उसका लाभ भाजपा को मिल सकता है और जदयू से अलग होने से हुए नुकसान की भरपाई भाजपा इस कार्ड से करेगी। अभी कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में पांच दिसंबर को उपचुनाव होने हैं। यह सीट राजद की है और इससे जीते विधायक अनिल सहनी की सदस्यता रद हो गई है। कारण, जब वे राज्यसभा सदस्य थे तो गलत बिल देकर उन्होंने कई लाभ लिए थे। राजद व जदयू दोनों की दावेदारी इस सीट पर है।