नीतीश की सरकार कल से जातिगत जनगणना जा रही कराने…. दो चरणों में पूरा होगा गिनती… नीतीश सरकार लंबे समय से जातिगत जनगणना की कर रही थी मांग….

 

नीतीश सरकार ने 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पास करा चुकी है। हालांकि, केंद्र इसके खिलाफ रही है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर साफ कर दिया था कि जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी। केंद्र का कहना था कि ओबीसी जातियों की गिनती करना लंबा और कठिन काम है।

पर अब नीतीश सरकार जातिगत जनगणना कराने जा रही है। इसकी जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग को दी गई है। इस साल मई तक जातिगत जनगणना का काम निपटाने को कहा गया है। ऐसे में जानना जरूरी है कि बिहार में जातिगत जनगणना कैसे होगी? जातियों की गिनती कैसे होगी?

1. कब से शुरू होगी जातिगत जनगणना?

जातिगत जनगणना 7 जनवरी से शुरू होगी। ये दो चरणों में होगा। पहला चरण 7 जनवरी से 21 जनवरी तक चलेगा। दूसरा चरण 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक चलेगा।

2. कैसे होगी गिनती?

पहले चरण में घरों की गिनती होगी। इसकी शुरुआत पटना के वीआईपी इलाकों से होगी। इसमें विधायकों, सांसदों और मंत्रियों के घरों को गिना जाएगा। इसके अलावा घर के मुखिया और परिवार के सदस्यों के नाम भी दर्ज किए जाएंगे।

दूसरे चरण में जातियों की गिनती होगी। इसमें लोगों से उनकी जाति, उपजाति और धर्म के बारे में पूछा जाएगा और डेटा जुटाया जाएगा।

3. कैसे होगा इतना बड़ा काम?

नीतीश सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का जिम्मा सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपा है। पंचायत से लेकर जिला स्तर तक के आंकड़े जुटाए जाएंगे।

जिला स्तर पर जातिगत जनगणना का काम डीएम को सौंपा गया है। उन्हें ही नोडल अफसर भी बनाया गया है।

सामान्य प्रशासन विभाग के कर्मचारी, डीएम और ग्रामीण स्तर पर अलग-अलग विभागों के सबऑर्डिनेट ऑफिसेस के कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी गई है। इनके अलावा जीविका दीदीयों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद भी ली जाएगी।

4. जो बाहर हैं उनका क्या?

बिहार का एक बड़ा तबका ऐसा है जो देश के अलग-अलग हिस्सों में रहता है। उनकी गिनती भी की जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग बिहार से बाहर रहने वाले राज्य के लोगों की गिनती करने का काम भी सौंपा गया है।

5. ये कब तक पूरा हो जाएगा?

बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना का सारा काम मई 2023 तक निपटाने का टारगेट रखा है। पहले फरवरी 2023 तक का टारगेट रखा था। लेकिन देरी होने की वजह से अब इसे मई तक खत्म करने का टारगेट रखा गया है।

6. इसमें कितना खर्चा आएगा?

राज्य सरकार जातिगत जनगणना के सर्वे पर 500 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। ये खर्च अनुमानित है। यानी, ये कम और ज्यादा भी हो सकता है। ये खर्च कंटेनजेंसी फंड से किया जाएगा।

10. क्या और किसी राज्य में हो चुका है ऐसा?

जातीय जनगणना की जब भी बात होती है तो कर्नाटक मॉडल का जिक्र आता है। कर्नाटक में जातिगत जनगणना कराई जा चुकी है, लेकिन इसका डेटा आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया।

2015 में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राज्य में जातीय जनगणना करवाई थी। इस पर 162 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। लेकिन लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय की नाराजगी से बचने के लिए इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया।