बिहार के 26 हजार एनएचएम कर्मी के दूसरे दिन भी होम आइसोलेशन पर रहने से राज्य की स्वस्थ व्यवस्था धीरे धीरे चरमरा रही है। राज्य स्वास्थ्य समिति के एक्सयूक्यूटिव डायरेक्टर(ED) मनोज कुमार ने फरमान जारी करते हुए सभी डीएम ,एसपी और सिविल सर्जन को पत्र लिख दिया है कि होम आइसोलेशन में गए संविदा एनएचएम कर्मियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ स्थानीय थाने में तुरन्त एफआईआर करें और सभी को संविदा मुक्त करें।
वहीं इस अदेह के बाद बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के सचिव ललन कुमार सिंह ने अपने बयान में कहा है कि सरकार चाहे जो भी कार्रवाई करे लेकिन तब तक एनएचएम कर्मी काम पर नहीं लौटेंगे जब तक कि मांगे पूरी नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि अगर 12 दिनों में मांगें पूरी नहीं होती है तो सभी 38 जिलों के 26 हजार संविदा कर्मी एक साथ सामूहिक इस्तीफा देंगे। बतादें की एनएचएम कर्मियों की मांग है कि बीमा,स्वास्थ्य बीमा और सेवा स्थायी किया जाए जिसको लेकर सभी ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से लेकर स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री तक को पत्र लिखा था लेकिन जब मांगों पर विचार नहीं किया गया तो सभी ने अल्टीमेटम दिया और कल से होम आइसोलेशन में चले गए।
गौरतलब है कि एक साथ सारे एनएचएम कर्मियों के होम आइसोलेशन में जाने के बाद एपीएचसी से लेकर सदर अस्पताल और आइसोलेशन सेंटर तक प्रभावित होने लगा है। साथही इस का असर कोरोना जांच और टीकाकरण पर भी पड़ता दिखाई पड़ रहा है। बतादें करना त्रासदी के समय स्वस्ब विभाग पहले से ही कर्मियों की कमी को झेल रहा है। ऐसे में फिलहाल स्वास्थ्य विभाग के पास कोई विकल्प नहीं दिखाई दे रहा है।
हालांकि संविदा कर्मियों का आरोप है कि सरकार पिछले 3 सालों से केवल झूठा आश्वासन दे रही है। गौरतलब है संविदा कर्मियों की कमिटी के गठन किया गया था। लेकिन इन कर्मियों का आरोप है कि लेकिन मांगें पर आज तक विचार नहीं हुआ। वहीं बगैर किसी सुरक्षा के जब कोविड ड्यूटी करनेवाले एनएचएम कर्मियों की मौत होने लगी तो सभी ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए होम आइसोलेशन में जाने का फैसला लिया।
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