हारना नहीं है। परिस्थितियां चाहे जो भी हो। इससे भी विकट परिस्थिति क्या होगी, जब हजारों किलोमीटर के सफर पर मजदूर पैदल हीं निकल पड़े हैं। लेकिन लंबी से लंबी सफर भी उनके हौसलों के सामने बौना साबित हो रहे हैं। लॉकडाउन में अपने देस पलायन करते मजदूरों की अनेक तस्वीरें आपने देखी होगी। लेकिन ये जो तस्वीर है, वो उम्मीदों पर पानी फिरने के बाद अपने बल पर अपने देस लौटने के हौसले की है।
वो अब तक चुपचाप थे। आस था कि उन्हें भी श्रमिक स्पेशल का हिस्सा बनाया जाएगा। आस टूट गया, लेकिन हौसले अब भी बुलंद हैं। चलते चलते उनकी चप्पलें घिस गयी हैं। लेकिन बावजूद इसके, उनके पांव रूके नहीं बढ़ते रहे। पांव में पानी की बोतलें बांध वे चलते रहे, बस चलते रहे।
ये मजदूर पंजाब से पलायन कर हरियाणा में दाखिल होने के बाद बिना चप्पलों के दिखे। पैरों में बोतल बांधने की नौबत तब आई जब चलते चलते इनकी चप्पलें या तो घिस गयी, या पुलिस के खदेड़ने के बाद भागने के दौरान टूट गयी। उसके बाद उन्होंने बोतलों को अपने पैरों में बांधकर उसी को चप्पल बना लिया और मंजिल की ओर बढ़ने लगे।
इन्हें अंबाला पुलिस ने नेशनल हाइवे पर चढ़ते हीं खदेड़ दिया, जिसके बाद यह तस्वीर सामने आयी । हांलाकि स्थानीय विधायक ने इन्हें नई चप्पलें खरीदकर दी है, और इस बावत प्रशासन से भी बात की है।
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