पटना सिटी में बड़ी पटनदेवी के पास मां पटनेश्वरी की मूर्ति स्थापित की गयी है. मंदिर स्थापना के 9वें दिन माता पटनेश्वरी का भंडारा का आयोजन किया गया जिसमें लाखों श्रद्वालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर आशीर्वाद लिया और जनकल्याण की कामना की. समाजसेवी शुभांकर गुप्ता के नेतृत्व में इस विशाल जागरण का आयोजन किया गया. इस भंडारा में कई नन्ही बच्चियों को भोजन कराया गया और उससे आशीर्वाद लिया गया.
बिहार में बहाल रहे अमन चैन
मां के भंडारा में बिहार सरकार के भूमि राजस्व मंत्री राम नारायण मंडल ने भी मां के भंडारा में शामिल हुए और प्रसाद ग्रहण किया. इसके साथ ही उन्होंने माता पटनेश्वरी की दर्शन कर बिहार की विकास समृद्वि और अमन चैन की कामना की.
ये हैं धार्मिक मान्यता
एक किंवदंती के अनुसार प्राचीन काल में पाटलिपुत्र की राजमहिषी पटलावती को एक रात्रि स्वप्न हुआ। स्वप्नानुसार उसने खुदाई कराई, जिसमें भगवती की तीन मूर्तियाँ-महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती की प्रतिमाएँ निकलीं जो बड़ी पटनदेवी मंदिर में स्थापित हैं। जहाँ से ये प्रतिमाएँ निकली थीं, वह स्थान आज भी बड़ी पटनदेवी मंदिर के समीप ‘बड़ी पटनदेवी का गड्ढा’ के नाम से जाना जाता है।
बड़ी पटनदेवी से लगभग तीन कि.मी. पूरब में छोटी पटनदेवी मंदिर है। यहाँ भी भगवती की तीन प्रतिमाएँ सिंहासनस्थ हैं। प्रत्येक दुःख-सुख के अवसर पर नगरवासी माँ भगवती की शरण में आते हैं। नगर के प्रायः प्रत्येक हिंदू परिवार में नव दंपती के लिए भावी सुखमय जीवन की कामना हेतु माँ के मंदिर में जाने की परम्परा है
पटन देवी मंदिर का महत्व
सम्भव है कि इन स्थानों पर देवी का पट दो स्थानों पर गिरा हो, जिसकी वजह से यहाँ बड़ी और छोटी दो पटनदेवी स्थान कायम हुआ हो। परंतु साक्ष्यों के आधार पर छोटी पटनदेवी ही अधिक प्राचीन मालूम पड़ती हैं। जिस स्थान पर सती का पट गिरा था, उस स्थान को सुरक्षित रखा गया है। वहाँ पर वेदी बनी हुई है, जिसकी विधिवत् पूजा होती है। कहते हैं, फ्रांसिस बुकानन (बाद में हैमिल्टन) ने सन 1811-12 के बीच पटना और गया जिले का सर्वेक्षण किया था।
उसने भी अंपनी डायरी में बड़ी तथा छोटी पटनदेवी का जिक्र किया है। बड़ी पटनदेवी में स्थापित दुर्गा, लक्ष्मी तथा सरस्वती की छोटी मूर्तियों के दर्शन भी उन्होंने किए थे।
छोटी पटनदेवी के संबंध में उन्होंने लिखा है-‘‘यह बड़ी पटनदेवी से भी अधिक लोकप्रिय हैं, परंतु मंदिर का भवन कोई उल्लेखनीय नहीं है। यहाँ भगवान सूर्य तथा भगवान विष्णु की भी छोटी मूर्तियाँ हैं । उस स्थान पर पिंड बनाकर रखा गया
है, जहाँ देवी का पटल गिरा था।” बुकानन ने लिखा कि मूर्तियों की प्रतिष्ठापना मुगल सेनापति राजा मान सिंह ने कराई थी।
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