किस राज्य की सरकार ने जारी किया तुगलकी फरमान, पुरुष नसबंदी का टार्गेट पूरा नहीं करने पर जाएगी नौकरी ?

 

भारत में साल 1975 में आपातकाल लाग था उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे और कमलनाथ के दोस्त रहे संजय गांधी ने पुरूषों के नसबंदी का अभियान शुरू किया था. इस काम में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों को टारगेट दिया गया था. उतर प्रदेश में अधिकारियों को संदेश दिया ग्या था कि नसबंदी कार्य में शामिल सभी कर्मचारियों को यह सूचित किया जाए कि यदि नसबंदी का टारगेट पूरा नहीं हुआ तो न सिर्फ उनका वेतन रूकेगा बल्कि निलंबन के साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा.

संजय गांधी की राह पर कमलनाथ !

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक बार फिर संजय गांधी की राह पर चल दिए है. परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार एक सख्त कदम उठाने जा रही है. सरकार ने उन पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सूची तैयार करने का आदेश दिया है, जो साल 2019-20 में एक भी पुरुष की नसबंदी नहीं करा पाए. सरकार ने ऐसे कार्यकर्ताओं का वेतन रोकने और उन्हें जबरन रिटायर करने की चेतावनी दी है.

मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने बीते 11 फरवरी को यह आदेश जारी किया है. इसमें साफ कहा गया है कि जो पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता साल 2019-20 में नसबंदी के लिए एक भी आदमी नहीं जुटा पाए हैं, उनका वेतन वापस लिया जाए और उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए. प्रदेश सरकार ने टार्गेट पूरा न करने वाले कर्मचारियों पर नो वर्क, नो पे फॉर्मूले के तहत कार्रवाई का आदेश दिया है. आपको बता दें कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में कर्मचारियों के लिए 5 से 10 पुरुषों की नसबंदी कराना अनिवार्य किया गया है.

वर्ष 2019-20 में सिर्फ 0.5 फीसदी पुरूषों की नसबंदी

स्वास्थ्य विभाग ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि राज्य में वर्ष 2019-20 में सिर्फ 0.5 प्रतिशत पुरुषों ने ही नसबंदी करायी. ये लक्ष्य से बेहद कम है. ऐसे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को “शून्य कार्य आउटपुट ’’ मानकर उन पर काम नहीं तो वेतन नहीं का नियम लागू किया जाएगा. आदेश के तहत इन कर्मचारियों की सेवा समाप्त की जा सकती