तेजस्वी यादव सरकार से किये कई सवाल, क्या इन तीखे सवालों के जवाब सरकार के पास है ?

बिहार के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दिहाड़ी मजदूरों, श्रमिकों और बेरोजगारों को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कोरोना काल में मजदूरों के साथ हुए बर्बर रवैये को लेकर भी कई सवाल उठाए हैं। पढ़िये सवालों की फेहरिश्त….

  1. सरकारी आँकड़ो के अनुसार अभी तक 30 लाख से अधिक श्रमिक बाहरी राज्यों से वापस बिहार आयें हैं। विगत कुछ दिनों से सरकार उनको राज्य के भीतर ही रोज़गार मुहैया कराने का आश्वासन दे रही है। मैं सरकार से जानना चाहूँगा की उनके पास इसके लिए आश्वासन के अलावा क्या रोड्मैप है? किन-किन क्षेत्रों में नौकरी देंगे और हर क्षेत्र के लिए बनाई गई कार्य योजना का विस्तृत ब्यौरा सार्वजनिक करे। ताकि सभी बेरोज़गारों के इसके बारे में updated जानकारी मिले।

  2. सरकार बताए कि बाहर से आए हमारे सभी मज़दूर भाईयों ने क्वारंटाइन के लिए तय समय सीमा को पूरा कर लिया? क्या सरकार ने उनके आगमन पर सभी प्रकार की जाँच व कोरोना टेस्टिंग किया? श्रमिकों के संक्रमण रोकने के लिए क्या बचाव, उपचार और उपाय किए गए?

3- बिहार के विधि व्यवस्था ।क्ळ के एक पत्र के अनुसार हमारे श्रमिक भाईयों के आगमन पर बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ेगी! हम यह जानना चाहते हैं कि क्या सरकार श्रमवीरों भाईयों को चोर, लुटेरा और अपराधी समझ रही है? क्यों सरकार इन्हें आरम्भ से ही अपराधियों के समान समझ पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर पशुवत व्यवहार करती रही?

  1. सरकार का यह पत्र Dignitiy of Labour (श्रम की गरिमा) और Dignity of Human (मानव की गरिमा) की धज्जियाँ उड़ा रहा है। अपने ही प्रदेशवासियों को दोयम दर्जे का नागरिक ही नहीं अपितु उन्हें लुटेरा और अपराधी समझा जा रहा है। प्रवासी शब्द पर प्रवचन देने वाले मुख्यमंत्री जी, आपकी सरकार श्रमिकों को प्रवासी ही नहीं बल्कि अपराधी भी बोल रही है।

  2. ADG के पत्र के अनुसार रोजगार नहीं मिलने पर हमारे श्रमिक भाई उग्र होने वाले हैं! तो क्या सरकार यह मान चुकी है कि उनके लिए हमारे श्रमवीरों को रोजगार देना असम्भव है? फिर सरकार रोज नए दावे कर श्रमवीर भाईयों को भ्रमित क्यों कर रही है? क्या ये हवाई घोषणाएं बस चुनाव तक के लिए बिहारवासियों को मूर्ख बनाने की कवायद तो नहीं?

  3. सरकार ये बताए कि इनके पंद्रह साल के शासन में कितने कल-कारख़ाने,फ़ैक्टरी और उद्योग बंद हुए और कितने नए उद्योग लगाये गए है? 15 साल में कुल कितने युवाओं को नौकरी दी गयी? कुल कितने बेरोज़गार प्रदेश में है?

  4. औसत एक परिवार  में 5 सदस्य भी माने तो सिर्फ़ श्रमवीरों के वापस आने से 1.5 करोड़ लोग प्रभावित हैं। उसके अलावा राज्य के अंदर पहले से लगभग 7 करोड़ युवा बेरोज़गार हैं। लॉक्डाउन में तक़रीबन 50 लाख रेहड़ी-पटरी, ठेला-रिक्शा वाले और दिहाड़ी मज़दूर भी लगभग ढाई-तीन महीने से रोज़गार से वंचित रहें। सरकार इन लगभग 8-9 करोड़ बेरोज़गारों को कैसे तत्काल रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराएगी? प्रदेशवासियों को इस पर विस्तृत रूप से समझाया जाए।

तेजस्वी ने की कई मांग

सरकार पर सवाल उठाने के साथ हीं उन्होंने सरकार से कई प्रमुख मांग की हैं। उन्होंने मजदूरों को लॉकडाउन की अवधि के न्यूनतम 200 दिन का एकमुश्त 10000रूपये नक़द राशि भत्ता देने की मांग है।

विगत 15 वर्षों से सरकार सोती रही और आज ज़मीन खिसकते देख लोगों को रोज़गार देने का ढोंग और स्वांग कर रही है। चुनावी घोषणा और लफ़्फ़ाज़ी से इतर सरकार को इसपर गम्भीरता से विचार कर अपना मंतव्य रखने की हम उम्मीद करते हैं।