“राष्ट्रीय शिक्षा नीति-प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तनकारी सुधार” पर वेब-गोष्ठी, ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी ने कहा-विकल्पहीन दुनिया के बच्चों के लिए वरदान साबित होगी शिक्षा नीति

“राष्ट्रीय शिक्षा नीति – प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तनकारी सुधार” विषय पर वेब-गोष्ठी का आयोजन किया गया। वेब-गोष्ठी में आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के डीन (शिक्षा संकाय) तथा जाने-माने शिक्षाविद् प्रो. ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी ने कहा कि नई शिक्षा नीति शैक्षिक परंपराओं, सांस्कृतिक धरोहरों, मूल्यों को पुनर्जीवित करने वाली नीति है। यह नीति 21वीं सदी में मार्गदर्शक व पथप्रदर्शक की भूमिका निभाने वाली है। नई शिक्षा नीति विकल्पहीन दुनिया के बच्चों के लिए वरदान साबित होने वाली है। यह बच्चों की विशिष्ट क्षमताओं को निखारने और उसको स्वीकृति प्रदान करने वाली है। यह पुरानी रटंत शिक्षा पद्धति को सिरे से खारिज करने वाली है। उन्होंने कहा कि 2 से 8 साल की उम्र में बच्चे सबसे अधिक सीखने की कोशिश करते हैं। उन्हें मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा दिया जाना एक परिवर्तनकारी कदम साबित होगा।

वहीं फील्ड आउटरीच ब्यूरो के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी पवन कुमार सिन्हा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में प्री प्राइमरी और प्राइमरी के बच्चों को मिड डे मील से पहले ब्रेकफास्ट देने की व्यवस्था एक ओर जहां बच्चों के ड्रॉपआउट को रोकेगी, वहीं दूसरी ओर इससे अभिभावकों की परेशानियां भी कम होंगी। उन्होंने कहा कि बच्चों को पोषक आहार के रूप में अंडा, फल और ड्राई फ्रूट्स भी देने का प्रावधान किया गया है, जिससे बच्चे मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक रूप से मजबूत हो सके।

नई शिक्षा नीति में प्रारंभिक शिक्षा को लेकर आमूल परिवर्तन किए गए

गुरू घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर की सहायक प्राध्यापक डॉ. अनुपमा कुमारी ने कहा कि आजादी के बाद देश में मैकाले की शिक्षा नीति ही लागू रही। यह पहली बार है कि पुरानी शिक्षा नीति में बदलाव करते हुए और करीब 3 दशक बीत जाने के बाद देश के लिए एक समग्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई है। पुरानी शिक्षा पद्धति ने शहरी एवं ग्रामीण शैक्षिक स्तर के बीच की खाई को और गहरा बनाने का काम किया है। केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति उस खाई को पाटने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि बच्चों के मस्तिष्क का 85% विकास 6 वर्ष की उम्र तक हो जाता है, इसलिए नई शिक्षा नीति में प्रारंभिक शिक्षा को लेकर आमूल परिवर्तन किए गए हैं। यह बच्चों को आदर्शवान, संस्कारवान, चरित्रवान और अपने देश से प्रेम करने वाला बनाएगा।

मातृभाषा में शिक्षा दिए जाने से प्राथमिक स्तर पर मजबूती होगी

आकाशवाणी, पटना के संवाददाता धर्मेंद्र कुमार राय ने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा के महत्व पर बल दिया गया है। इस नीति में पांचवी तक मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा दिए जाने से प्राथमिक स्तर पर मजबूती आएगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति परीक्षाओं के तनाव को भी कम करने का काम करेगी।

मिड डे मिल कार्यों से शिक्षकों को अलग रखा जाए

गोष्ठी में विशेष आमंत्रित शिक्षक के रूप में सिवान के भगवानपुर हाट स्थित उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक डॉ सुमन कुमार सिंह और महाराजगंज सिवान के उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक श्री प्रेम कुमार भी शामिल हुए थे। उन्होंने शिक्षकों के समक्ष आने वाली समस्याओं और आशंकाओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मिड डे मिल के कार्यों से शिक्षकों को अलग रखा जाना चाहिए ताकि शिक्षक प्राथमिक स्तर पर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर सकें।

वेब-गोष्ठी का संचालन फील्ड आउटरीच ब्यूरो, छपरा के क्षेत्रीय प्रचार सहायक सर्वजीत सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी पवन कुमार सिन्हा ने किया। गोष्ठी में रीजनल आउटरीच ब्यूरो के निदेशक विजय कुमार,  पीआईबी के निदेशक दिनेश कुमार और सहायक निदेशक संजय कुमार सहित सूचना प्रसारण मंत्रालय के अन्य मीडिया इकाइयों के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे। गोष्ठी में विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक भी जुड़े थे।