आरसेटी ग्रामीण बेरोजगार युवाओं के बीच बैंकिंग योग्य उधारकर्ताओं को तैयार करता है – अध्ययन

ग्रामीण क्षेत्रों में सतत आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने के हमारे प्रयासों के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय बैंकों के साथ मिलकर ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों (आरएसईटीआई यानी आरसेटी) को बढ़ावा दे रहा है। आरसेटी अद्वितीय संस्थान हैं जहां ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को उनका स्वरोजगार उपक्रम स्थापित करने के लिए उद्यमिता कौशल आधारित प्रशिक्षण दी जाती है और आवश्यकता के अनुसार बैंक ऋण भी उपलब्ध कराया जाता है।

आरसेटी वाणिज्यिक बैंकों के व्यापार कौशल के साथ सरकारी संसाधनों का अच्छा मेल है। केंद्र सरकार अपने ग्रामीण विकास मंत्रालय के जरिये वित्तपोषण एवं नीतिगत हस्तक्षेपों द्वारा इस पूरे कार्यक्रम को सहारा दे रही है। राज्य सरकार नि:शुल्क भूमि आवंटन और संचालन सहायता के जरिये इसमें सहयोग करती है जबकि बैंक इन संस्थानों को चलाते हैं और उनका प्रबंधन करते हैं।

आरसेटी सरकार के काफी प्रभावी हस्तक्षेप साबित हुए हैं। इन संस्थानों की विशिष्टता यह है कि ये देश भर में जिला स्तर पर उपलब्ध हैं। आरसेटी की एक अन्य विशेषता यह है कि ये संस्थान अल्पकालिक आवासीय प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करते हैं और उसके बाद प्रशिक्षित उम्मीदवारों को दीर्घकालिक सहारा देते हैं। प्रशिक्षित उम्मीदवारों को प्रशिक्षण के बाद 2 वर्षों तक मदद की जाती है ताकि वे अपना कोई रोजगार उपक्रम स्थापित कर सकें। साथ ही उन्हें बैंकों से उधारी लेने में भी मदद की जाती है।

देश के 33 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में 585 आरसेटी कार्यरत हैं। इन संस्थानों का संचालन और प्रबंधन 23 विभिन्न बैंक कर रहे हैं। इन संस्थानों द्वारा 30 लाख से अधिक ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है जिनमें से लगभग 20 लाख ने अपने उद्यम शुरू किए हैं।

कोविड वैश्विक महामारी के दौरान उद्यमशीलता के अवसरों को भुनाते हुए बड़ी तादाद में आरसेटी के प्रशिक्षुओं, विशेष रूप से सिलाई और सैनिटाइजर से संबंधित व्यापार में प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षुओं ने जिनमें बड़ी संख्या में फेस मास्क, पीपीई और सैनिटाइजर का उत्पादन किया। आरसेटी प्रशिक्षुओं द्वारा एक करोड़ से अधिक मास्क बनाए गए।

कई प्रशिक्षुओं ने समूह बनाए और आम लोगों के लिए सरकार से मिले बड़े ऑर्डरों को  सफलतापूर्वक निष्पादित किया। इस अवधि में 12,000 से अधिक प्रशिक्षुओं ने अपनी खुद की उद्यमशीलता की यात्रा शुरू की और कारोबार स्थापित किया।

आरसेटी द्वारा प्रशिक्षण स्वरोजगार के लिए जहां इच्छुक प्रशिक्षुओं को अपने स्वयं के उद्यम स्थापित करने के लिए बैंक ऋण दिया जाता है। आरसेटी से प्रशिक्षित करीब 50 प्रतिशत उम्मीदवारों ने बैंकों द्वारा दिए गए ऋण के जरिये अपने स्वरोजगार उपक्रम शुरू किए हैं। क्या सभी इच्छुक उम्मीदवारों को बैंक ऋण प्राप्त हो रहा है, आरसेटी से प्रशिक्षित उम्मीदवारों के प्रति बैंकरों का रवैया कैसा है और आरसेटी से प्रशिक्षित उम्मीदवारों के पुनर्भुगतान संबंधी व्यवहार में कहीं परिवर्तन तो नहीं दिख रहा? इन तथ्यों की जांच करने के लिए नेशनल एकेडमी ऑफ रुडसेटी (आरयूडीएसईटीआई), बेंगलूरु ने एक अध्ययन किया है।

यह अध्ययन ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) से प्रशिक्षित उम्मीदवारों के क्रेडिट लिंकेज और ऋण पुनर्भुगतान व्यवहार पर केंद्रित है। यह अध्ययन आंध्र प्रदेश, ओडिशा, बिहार और उत्तर प्रदेश के आरसेटी प्रशिक्षुओं के बीच किया गया। अध्ययन की रिपोर्ट भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय को सौंप दी गई और बाद में उसे प्रकाशित किया गया। इस अध्ययन के तौर-तरीके, दायरे और निष्कर्षों के विवरण नीचे दिए गए हैं:

 

  1. अध्ययन का दायरा:

नेशनल एकेडमी ऑफ रुडसेटी, बेंगलूरु के मूल्यांकन एवं प्रमाणन विभाग के 4 सहायक नियंत्रकों की एक टीम ने अध्ययन किया:

  • अध्ययन की अवधि: जून से जुलाई 2020
  • कवर किए गए प्रशिक्षुओं की संख्या: 189
  • आरसेटी की संख्या: 4 राज्यों से 8
  • बैंक शाखाओं की संख्या: 80

 

संपर्क करने वाले प्रशिक्षुओं का राज्यवार वितरण

 

  1. जांच के क्षेत्र:
    • अपने प्रशिक्षित उम्मीदवारों को क्रेडिट लिंकेज की सुविधा उपलब्ध कराने में आरएसईटीआई की भूमिका
    • आरसेटी प्रशिक्षुओं को ऋण देने में बैंकों की प्रतिक्रिया
    • आरसेटी प्रशिक्षुओं को सामान्य तौर पर दिए गए ऋण की मात्रा
    • गैर-आरसेटी बैंक उधारकर्ताओं के मुकाबले आरसेटी प्रशिक्षित उम्मीदवारों का पुनर्भुगतान व्यवहार

 

निष्कर्ष

  1. अपने प्रशिक्षित उम्मीदवारों को क्रेडिट लिंकेज की सुविधा उपलब् करान में आरसेटी की भूमिका

ऐसा पाया गया कि आरसेटी प्रशिक्षण देने के बाद अपने प्रशिक्षित उम्मीदवारों को परियोजना रिपोर्ट तैयार करने और बैंक प्रबंधकों से संपर्क करने में मदद कर रहे हैं। इसके अलावा वे ऋण हासिल करने के लिए बैंक की विभिन्न औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए प्रशिक्षुओं की काउंसलिंग भी कर रहे हैं।

 

 

  1. आरसेटी प्रशिक्षुओं को ऋण देने में बैंकों की प्रतिक्रिया

ऐसा देखा गया कि आरसेटी के प्रशिक्षित उम्मीदवारों के मामले में ऋण मंजूर होने की सफलता दर गैर-प्रशिक्षुओं को मंजूर किए गए ऋण से मुकाबले कहीं अधिक है। आरसेटी प्रशिक्षुओं के दो तिहाई से अधिक ऋण आवेदनों को बैंकों द्वारा अनुमोदित किया जाता है। इससे पता चलता है कि प्रशिक्षुओं के आवेदन सभी आवश्यक रिपोर्टों और बैंक औपचारिकताओं को पूरा करते हैं।

करीब 15 प्रतिशत उम्मीदवारों के मामले में ऋण आवेदनों की अस्वीकृति के कारणों का भी अध्ययन किया गया ताकि भविष्य में प्रशिक्षण के दौरान इन कमियों को दूर किया जा सके। ऋण अस्वीकृति के लिए सामान्य तौर पर निम्नलिखित कारण दिखे:

  • प्रशिक्षुओं द्वारा बैंक की औपचारिकताओं को पूरा नहीं करना
  • प्रस्ताव को बैंकों के लिए वित्तीय तौर पर संभव नहीं दिखना
  • प्रशिक्षु का क्रेडिट स्कोर (सिबिल) कम होना
  • आवश्यक दस्तावेज जमा नहीं करना (केवाईसी)
  • प्रस्तावित गतिविधि में विपणन का सीमित दायरा
  • एकल कुंवारी महिलाओं को हतोत्साहित करना
  • प्रस्तावों का रूटीन कॉपी-पेस्ट होना
  • प्रशिक्षु के परिवार के किसी सदस्य का बैंक डिफॉल्टर होना

 

  1. गैरआरसेटी बैंक उधारकर्ताओं के मुकाबले आरसेटी प्रशिक्षित उम्मीदवारों का पुनर्भुगतान व्यवहार

ऐसा पाया गया कि आरसेटी प्रशिक्षुओं को दिए गए लगभग 90 प्रतिशत ऋण का पुनर्भुगतान नियमित तौर पर हो रहा है। कुछ मामलों में पुनर्भुगतान में देरी के लिए कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण कारोबार में हुए व्यवधानों को जिम्मेदार ठहराया गया है। चूंकि ये ऋण पहली पीढ़ी के सूक्ष्म उद्यम उपक्रम स्थापित करने के लिए दिए गए हैं, इसलिए इन्हें एक अच्छे पुनर्भुगतान के रूप में देखा जा सकता है।

 

आरसेटी प्रशिक्षुओं के ऋण के पुनर्भुगतान की स्थिति

 

बैंकरों से यह भी पूछा गया कि वे आरसेटी से प्रशिक्षित उम्मीदवारों के पुनर्भुगतान संबंधी  व्यवहार को गैर-आरसेटी उधारकर्ताओं के मुकाबले किस प्रकार की रेटिंग देना चाहेंगे। इस पर 78 प्रतिशत बैंकरों ने स्वीकार किया कि आरसेटी से प्रशिक्षित उम्मीदवार ऋण पुनर्भुगतान के मामले में गैर-आरसेटी बैंक उधारकर्ताओं के मुकाबले बेहतर हैं।

 

‘क्या आरसेटी से प्रशिक्षित उम्मीदवारों का पुनर्भुगतान गैर-आरसेटी बैंक उधारकर्ताओं के मुकाबले बेहतर है’

 

अंत में यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि आरसेटी में प्रशिक्षण हासिल करने से प्रशिक्षुओं में बैंक ऋण लेने और उसे चुकाने की क्षमताओं का निर्माण होता है। साथ ही बैंकरों को भी उन्हें उधार देने के लिए भरोसा होता है। इसका अंदाजा इस तथ्य से भी लगाया जा सकता है कि ऋण प्रस्तावों को मंजूरी और पुनर्भुगतान दोनों मोर्चे पर आरसेटी से प्रशिक्षित उम्मीदवारों का प्रदर्शन गैर-आरसेटी प्रशिक्षित बैंक उधारकर्ताओं के मुकाबले बेहतर रहा है।

 

बहरहाल, आरसेटी, प्रशिक्षुओं और बैंकों के बीच इस त्रिपक्षीय सहयोग को कहीं अधिक बेहतर करने के लिए समग्र गतिविधियों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। अपने प्रशिक्षुओं में क्षमता निर्माण को बढावा देने के लिए आरसेटी को हस्तक्षेप करने और सुविधा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। बैंकों को इन सूक्ष्म उद्यमों को समय पर और पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराते हुए उसे ताकत देने की आवश्यकता है। उन्हें संभावित व्यापार की परिकल्पना करनी चाहिए ताकि इन उद्यमों को सूक्ष्म से लघु, मध्यम और बड़े कारोबार के तौर पर विकसित होने में मदद मिल सके। अंतिम लाभार्थी के तौर पर प्रशिक्षुओं को यह भी याद रखना चाहिए कि बैंक से लिए गए ऋण का सही तरीके से उपयोग हो और ऋणदाताओं के विश्वास को बनाए रखने के लिए तुरंत चुकाना भी उनके हित में है। इससे न केवल उन्हें बल्कि भविष्य के प्रशिक्षुओं को भी आरसेटी- प्रशिक्षु- बैंक के एक सकारात्मक त्रिपक्षीय सहयोग का लाभ मिल सकेगा।

 

अध्ययन से मिली सीख और भविष्य की रूपपरेखा

 

यह जानकार काफी प्रोत्साहन मिला कि बैंकिंग लेनदेन के लिए आरसेटी से प्रशिक्षित उम्मीदवारों के प्रति बैंकरों का विश्वास बढ़ा है और आरसेटी अपने प्रशिक्षण की उच्च गुणवत्ता को बनाए रखने में सफल रहे हैं। हमारा उद्देश्य बैंकों के लिए संभावित ग्राहकों को तैयार करना होना चाहिए ताकि बैंकों द्वारा प्रायोजित करने का मूल उद्देश्य प्राप्त हो सके। हालांकि, इस अध्ययन के तहत जिन क्षेत्रों में कमजोरियां दिखी हैं उन्हें मजबूत करने की आवश्यकता है। आरसेटी को प्रशिक्षण के बाद की अपनी मदद, जैसे उम्मीदवारों को परियोजना रिपोर्ट तैयार करने और बैंक ऋण का उचित उपयोग करने में मदद आदि पर अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि उन्हें शीघ्र भुगतान सुनिश्चित हो सके। विभिन्न आरसेटी कार्यक्रमों के प्रति बैंक प्रबंधकों की पर्याप्त संवेदनशीलता भी जरूरी है।

 

 

लेखक

आरआर सिंह

महानिदेशक

नेशनल एकेडमी ऑफ रुडसेटी

मल्लेश्वरम, बेंगलुरु