विजयाराजे सिंधिया की 100वीं जयंती पर 100 रुपये का सिक्का जारी, पीएम बोले-प्रधानसेवक बनकर आपके सामने है राजमाता का नरेंद्र

पीएम नरेंद्र मोदी ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया की 100वीं जयंती पर 100 रुपये के स्मारक सिक्के का अनावरण किया. मोदी ने इस सिक्के को देश को समर्पित किया.इस अवसर पर मोदी ने कहा कि पिछली शताब्दी में भारत को दिशा देने वाले कुछ एक व्यक्तित्वों में राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी शामिल थीं. इस मौके पर पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि एकता यात्रा के समय राजमाता ने मेरा परिचय गुजरात के युवा नेता नरेंद्र मोदी के तौर पर कराया था, इतने सालों बाद आज उनका वही नरेंद्र देश का प्रधानसेवक बनकर उनकी अनेक स्मृतियों के साथ आपके सामने है। उन्होंने कहा कि राजमाता ने अपना जीवन गरीब लोगों के लिए समर्पित कर दिया था। उनके लिए राजसत्ता नहीं बल्कि जन सेवा अहम थी।

राजमाताजी केवल वात्सल्यमूर्ति ही निर्णायक नेता थीं

प्रधानमंत्री ने कहा कि राजमाताजी केवल वात्सल्यमूर्ति ही नहीं थी. वो एक निर्णायक नेता थीं और कुशल प्रशासक भी थीं. स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आजादी के इतने दशकों तक, भारतीय राजनीति के हर अहम पड़ाव की वो साक्षी रहीं. आजादी से पहले विदेशी वस्त्रों की होली जलाने से लेकर आपातकाल और राम मंदिर आंदोलन तक, राजमाता के अनुभवों का व्यापक विस्तार रहा है.

राजमाता ने जनसंघ की सेवा करना स्वीकार किया

उन्होंने कहा कि ऐसे कई मौके आए जब पद उनके पास तक चलकर आए. लेकिन उन्होंने उसे विनम्रता के साथ ठुकरा दिया. एक बार खुद अटल जी और आडवाणी जी ने उनसे आग्रह किया था कि वो जनसंघ की अध्यक्ष बन जाएं. लेकिन उन्होंने एक कार्यकर्ता के रूप में ही जनसंघ की सेवा करना स्वीकार किया. राजमाता एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व थीं.

राजघराने से ताल्लुक रखने वाली राजमाता सिंधिया भाजपा के बड़े चेहरों में से एक थीं और हिंदुत्व मुद्दों पर काफी मुखर थीं. उनका जन्म 12 अक्टूबर, 1919 को हुआ था. उनकी बेटियां वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और पौत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं.