प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के सफलतापूर्वक लागू होने के छह साल पूरे होने के साथ ही यह बात स्पष्ट हो गयी है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार सामाजिक-आर्थिक रूप से उपेक्षित वर्गों और हाशिए पर मौजूद लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए लगातार सक्रिय है। वर्तमान सरकार ने समाज के इन वर्गों के वित्तीय समावेशन को प्राथमिकता देते हुए कई रचनात्मक एवं मौलिक कदम उठाये हैं। प्रधानमंत्री जन धन योजना इनमें से सबसे महत्वपूर्ण है। इस योजना का महत्व इसलिए है कि यह गरीबों की बचत को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने की राह आसान बनाता है। साथ ही, यह उन्हें गांवों में रहने वाले अपने परिजनों को आसानी से धन भेजने की सुविधा उपलब्ध कराता है। यही नहीं, इस योजना की वजह से उन्हें अपने परिवार को निर्दयी सूदखोरों के चंगुल से निकालने में मदद मिलती है।
शुरुआत एवं अबतक का सफ़र
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की थी। उसी वर्ष 28 अगस्त को इस योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस अवसर को एक दुष्चक्र से गरीबों की मुक्ति के एक जश्न के रूप में निरूपित किया था। इस वर्ष समाज के वंचित वर्गों के वित्तीय समावेशन को समर्पित इस योजना के सफलतापूर्वक लागू होने के छह साल पूरे हो गये हैं। इन छह सालों में यह योजना जन – आधारित आर्थिक कार्यक्रमों की बुनियाद के तौर पर सामने आयी है। केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के शब्दों में अगर कहें, तो इन छह सालों में इस योजना ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से लेकर कोविड-19 संबंधी वित्तीय सहायता, पीएम-किसान योजना, मनरेगा के तहत मजदूरी में वृद्धि, जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा कवर के क्रियान्वयन में एक अहम भूमिका निभायी है।
पहचान
प्रधानमंत्री जन धन योजना की पहचान समाज के उपेक्षित वर्गों तक बैंकिंग, बचत/जमा खातों, प्रेषण, उधारी, बीमा, पेंशन आदि जैसी वित्तीय सेवाओं को किफायती तरीके से पहुंचाते हुए वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के एक राष्ट्रीय मिशन के तौर पर है। इस मिशन के तहत लागत घटाने और पहुंच को व्यापक बनाने के क्रम में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर खासा जोर दिया गया है।
मूल सिद्धांत
इस योजना के तीन मूल सिद्धांत हैं। पहला, बैंकिंग प्रणाली से दूर रहने वाले लोगों को इस प्रणाली में शामिल करना। दूसरा, असुरक्षित को सुरक्षित करना। और तीसरा एवं अंतिम सिद्धांत है – वित्त पोषण की सुविधा मुहैया कराना । जहां तक बैंकिंग प्रणाली से दूर रहने वाले लोगों को इस प्रणाली में शामिल करने का सवाल है, इस योजना में न्यूनतम कागजी कार्रवाई के साथ मूल बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खाता खोलने, केवाईसी एवं ई-केवाईसी के नियमों में ढील देने, शून्य खाता शेष और शून्य शुल्क के साथ खाता खोलने के प्रावधान हैं। इसके अलावा, 2 लाख रुपये के मुफ्त दुर्घटना बीमा कवरेज के साथ नकद निकासी और भुगतान के लिए स्वदेशी डेबिट कार्ड जारी करने का प्रावधान करते हुए इस योजना में असुरक्षितों को भरपूर सुरक्षा एवं सहायता देने का प्रयास किया गया है। यही नहीं, इस योजना में सूक्ष्म बीमा, उपभोग के लिए ओवरड्राफ्ट, माइक्रो-पेंशन और माइक्रो-क्रेडिट जैसे वित्तीय उत्पादों के जरिए लोगों को वित्त पोषण की सुविधा मुहैया करायी गयी है।
शुरुआती विशेषताएं
इस योजना की शुरुआत में उपेक्षित वर्ग के अधिक से अधिक लोगों तक बैंकिंग सेवाओं को पहुंचाया गया। प्रत्येक परिवार को 10,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ मूल बचत बैंक खाता खोलने का मौका दिया गया। बचत को बढ़ावा देने, एटीएम का उपयोग करने, ऋण के लिए तैयार होने, बीमा एवं पेंशन का लाभ उठाने, बैंकिंग के लिए बेसिक मोबाइल फोन का उपयोग करना सिखाने जैसे मुद्दों को लेकर वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम चलाया गया। इतना ही नहीं, क्रेडिट गारंटी फंड तैयार करके डिफॉल्ट होने की स्थिति में बैंकों को कुछ गारंटी प्रदान करने का कदम भी उठाया गया। 15 अगस्त 2014 से 31 जनवरी 2015 के बीच खोले गए खातों पर 1,00,000 रुपये तक दुर्घटना कवर और 30,000 रुपये का जीवन कवर प्रदान किया गया। और असंगठित क्षेत्र के लिए पेंशन योजना का भी प्रावधान रखा गया।
नयी सुविधाएं एवं योजना का विस्तार
सरकार ने कुछ संशोधनों के साथ इस महत्वपूर्ण योजना को 28 अगस्त 2018 से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। अब यह योजना प्रत्येक परिवार के बजाय प्रत्येक वयस्क को बैंकिंग प्रणाली के दायरे में लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। और तो और, 28 अगस्त 2018 के बाद खोले गए जनधन खातों के लिए रूपे कार्ड पर मुफ्त दुर्घटना बीमा कवर को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया है। ओवरड्राफ्ट सीमा को 5,000 रुपये से दोगुना करते हुए 10,000 रुपये किया गया है। कुल 2,000 रुपये तक के ओवरड्राफ्ट के लिए तो कोई शर्त नहीं रखी गयी है। इसके अलावा, ओवरड्राफ्ट के लिए ऊपरी आयु सीमा को 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दिया गया है।
उपलब्धियां
एक आंकड़े के अनुसार, 19 अगस्त 2020 तक जनधन खातों की कुल संख्या 40.35 करोड़ तक पहुंच गयी। इन खातों में, ग्रामीण जनधन खाते 63.6 प्रतिशत हैं। जबकि महिला जनधन खाते 55.2 प्रतिशत हैं। इस योजना के पहले वर्ष के दौरान कुल 17.90 करोड़ जनधन खाते खोले गए। इस योजना के तहत खोले जाने वाले जनधन खातों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।
भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार, जनधन खातों को तभी निष्क्रिय माना जाता है, जब ग्राहक दो साल से अधिक समय तक इस खाते में कोई लेन-देन नहीं करता है। अगस्त 2020 में मौजूद कुल 40.35 करोड़ जनधन खातों में से 34.81 करोड़ (86.3 प्रतिशत) सक्रिय खाते हैं। और सक्रिय खातों के प्रतिशत में लगातार वृद्धि हो रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि इनमें से अधिकतर खातों का उपयोग नियमित रूप से ग्राहकों द्वारा किया जा रहा है।
जहां तक जनधन खातों में जमा रकम का सवाल है, इसके तहत कुल जमा रकम 1.31 लाख करोड़ रुपये है। अगस्त 2015 से लेकर अगस्त 2020 के दौरान जनधन खातों की संख्या में 2.3 गुना वृद्धि होने के साथ ही इन खातों में जमा रकम में 5.7 गुणा वृद्धि दर्ज की गई है। अगर हम प्रति जनधन खाता में औसत जमा की बात करें, तो यह 3,239 रुपये है। औसत जमा में हो रही वृद्धि खातों के बढ़ते उपयोग और खाताधारकों में बचत की आदत में वृद्धि को दर्शाती है।
इस वर्ष 26 मार्च को केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत जनधन योजना के महिला खाताधारकों के खातों में तीन महीनों (अप्रैल 2020 से जून 2020) के दौरान 500 रुपये की रकम प्रति माह जमा कराई गई। अप्रैल 2020 से जून 2020 के दौरान महिला जनधन खाताधारकों के खातों में कुल मिलाकर 30,705 करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं।
कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री जन धन योजना ने भारत के वित्तीय ढ़ांचे को विस्तार दिया है और 40 करोड़ से अधिक खाताधारकों को वित्तीय समावेशन के दायरे में लाने में महती भूमिका निभायी है। इसने समाज के कमजोर वर्गों, खासकर महिलाओं को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करते हुए उनके सशक्तिकरण को मजबूती दी है।
[रजनीश – लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया – शोध के क्षेत्र में सक्रिय हैं]
You must be logged in to post a comment.