निर्भया कांड : पवन की याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा 2012 में नाबालिग नहीं था पवन

निर्भया के दोषियों में से एक पवन के द्वारा दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। पवन की ओर से दलील कि 2012 में वो नाबालिग था, को खारिज करते हुए कोर्ट ने उसे बालिग ठहराया है। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला लिया कि यह मामला पहले भी उठाया गया है और निचली अदालतों ने इसे खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट का फैसला सही था और हमें इस याचिका में कोई नई बात नहीं दिखाई देती, इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है।

पवन की याचिका में ये कहा गया

पवन ने याचिका में कहा है कि वह दिसंबर 2012 में नाबालिग था। उसकी ऐसी ही याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ठुकरा चुका है जिसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में अपराध के वक्त नाबालिग होने की अर्जी डाली है। साथ ही उसने एक फरवरी को होने वाली फांसी पर रोक लगाने के लिए भी याचिका डाली है।

3 जजों की बेंच का फैसला

जस्टिस भानुमति की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच पवन की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दोहपर ढाई बजे तक के लिए सुरक्षित कर लिया था। पवन ने सुप्रीम कोर्ट को दी अर्जी में कहा कि वह दिल्ली हाई कोर्ट को भी यह बता चुका है, लेकिन हाई कोर्ट ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने 19 दिसंबर, 2019 की सुनवाई में इस दलील को खारिज करते हुए पवन के वकील पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया था।