बायोफार्मास्यूटिकल कंपनी ‘बायोकॉन’ की चेयरपर्सन और एमडी किरण मजूमदार शॉ ने बताया, कोरोना पॉजिटिव आने पर कौन-कौन से काम जरूर करें

बायोफार्मास्यूटिकल कंपनी ‘बायोकॉन’ की चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर किरण मजूमदार शॉ, देश की सबसे अमीर महिला मानी जाती हैं, जिन्होंने अपने दम पर एक बिजनेस एम्पायर खड़ा किया। इनकी बात हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि अभी कुछ दिनों पहले इन्होंने COVID-19 से अपनी लड़ाई की कहानी एक ब्लॉग के ज़रिये साझा की है। इन्होंने कैसे इस इंफेक्शन का सामना किया और कैसे इस पर जीत पाई, आप यहां पढ़ सकते हैं, उन्हीं के शब्दों में:

मुझे में पहला लक्षण 16 अगस्त को दिखा, जब मुझे हल्का बुखार होना शुरू हुआ था। मुझे जून की शुरुआत में भी ऐसे लक्षण दिखे थे और मेरा टेस्ट निगेटिव आया था, इसलिए मैंने एक क्रोसिन ले ली और सोचा इससे ठीक हो जाएगा। लेकिन दूसरी सुबह जब मैं उठी, तो मेरा बुखार बना हुआ था। नापा तो 99 F था। उस समय मैंने फैसला किया कि मैं अपना और अपने पूरे परिवार का COVID टेस्ट करूंगी क्यूँ कि मेरे घर में 89 साल की मां कैंसर सर्वाइवर हैं, और 71 साल के पति कैंसर पेशेंट हैं। मुझे उनकी चिंता थी। मैं फौरन एक अलग कमरे में खुद को क्वारंटीन किया। शाम को पांच बजे मेरा टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव आया, लेकिन मेरी मां, पति और  घर के सारे स्टाफ नेगेटिव थे। वायरस ने दया करके  मेरी माँ और मेरे पति को बख्श दिया। मैंने अपने वायरल लोड का आकलन करने के लिए सीटी (साइकिल थ्रेशोल्ड) मूल्य के लिए कहा और जब मैंने देखा कि यह 23 था, तो मुझे लगा कि लोड काफी सुरक्षित था, जिसे टेली-पर्यवेक्षण के तहत घर से अलग किया जा सकता था।या फिर यूं कहें कि मेरा वायरस लोड (शरीर में वायरस की संख्या) कम थी, इसलिए मैंने घर पर ही क्वारंटीन होना डिसाइड किया।

नारायण हेल्थ, बेंगलुरु से डॉ। मुरली मोहन और लीलावती अस्पताल, मुंबई से डॉ। शशांक जोशी मेरे प्रमुख चिकित्सा पर्यवेक्षक थे।

  मुझे फेविपिरविर, एज़िथ्रोमाइसिन और पेरासिटामोल के एक कोर्स पर रखा गया था। इसके अलावा, मैंने विटामिन सी, विटामिन डी, जिंक, बेबी एस्पिरिन और च्यवनप्राश की अपनी दैनिक खुराक के साथ जारी रखा! मेरे सप्ताह में दो बार एचसीक्यू की 200 मिलीग्राम खुराक का उल्लेख नहीं करना है। दिन 2 और 3 असमान थे। मैंने दिन में छह बार अपने ऑक्सीजन संतृप्ति स्तर को मापा, जो कि 6 मिनट की पैदल यात्रा के बाद भी 96-98% के बीच थे। मेरा तापमान सामान्य था, लेकिन देर शाम 3 दिन, मुझे तेज दर्द हुआ और यह दिन 4 और 5 तक बढ़ गया।कोई औसत दर्जे का तापमान नहीं, लेकिन बार-बार पसीने की बदबू आ रही है जिससे पता चलता है कि मेरा शरीर वायरस से लड़ रहा था। मैं अपने साइटोकिन के स्तर को भी ट्रैक कर रहा था।

किरण आगे लिखती हैं कि उन्होंने लगातार अपने शरीर के ऑक्सीजन लेवल पर नज़र रखी। दवाइयां लीं। किरण ने आगे बताया-

मेरा अनुभव काफी हल्का और बिना किसी दिक्कत भरा रहां। स्वाद और गंध में कोई कमी नहीं आई, ऑक्सीजन लेवल में कोई कमी नहीं आई। मेरे लगातार साथी नेटफ्लिक्स और एमेजॉन प्राइम थे। टीवी और सोशल मीडिया अवॉयड कीजिए, क्योंकि निगेटिव खबरें COVID-19 से लड़ाई के लिए बुरी हैं।

मैंने जो कुछ सिंपल चीज़ें सीखी हैं, वो ये हैं:

1. पॉजिटिव आने पर घबराए नहीं।

2. अपने शरीर में वायरस की संख्या (वायरल लोड) पर नज़र बनाए रखें।

3. कम वायरल लोड के साथ हल्का बुखार होने पर घर पर आइसोलेशन में रह सकते हैं।

4. दिन में कई बार अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करें, और सुनिश्चित करें कि ये 95 से नीचे न जाए।

5. ये सुनिश्चित करें कि आप टेलीहेल्थ प्रोग्राम के ज़रिए एक डॉक्टर के सम्पर्क में बने रहें।

6. योग करें और जितना चल सकते हों, चलें।

7. आपका शरीर एक हफ्ते के भीतर वायरस से लड़ लेगा।

8. डॉक्टर्स को सिर्फ बीमारी के लक्षण नहीं, बल्कि उन लक्षणों के पीछे की वजह का इलाज करना चाहिए। जैसे अगर ऑक्सीजन लेवल कम होता है, तो ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाना ही काफी नहीं है। साइटोकिंस (एक तरह का प्रोटीन) की वजह से हो रही जलन को ठीक करना इसका उपाय है।

9. अगर जलन और साइटोकिंस के प्रभाव को जल्दी नहीं रोका गया, तो COVID-19 से होने वाली थकन और सांस लेने में दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

आखिर में, जैसे ही हल्के लक्षण दिखाई दें, प्लीज फौरन खुद को टेस्ट कीजिए। डिनायल में रहकर और गंभीर लक्षणों का इंतजार मत कीजिए। ऐसा करके आप बीमारी को हल्के में ही ख़त्म करने के अपने चांसेज खो देते हैं।

किरण लिखती हैं कि उनका  COVID-19 एक्सपीरियंस वैसा ही रहा, जैसी उन्हें उम्मीद थी। वो आशा करती हैं कि ये वायरस से डर को कम करने में मदद करेगा।