अब हाइड्रोजन फ्यूल से चलेगी भारतीय रेल, 2.3 करोड़ रुपये की होगी बचत, हर साल 11.12 किलो टन के कार्बन उत्सर्जन में आएगी कमी

भारतीय रेल ने स्वयं को हरित परिवहन प्रणाली के रूप में बदलने के क्रम में उत्तर रेलवे के 89 किमी. लम्बे सोनीपत-जिंद सेक्शन पर देश की पहली हाइड्रोजन ईंधन (ग्रीन फ्यूल) ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है। नए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की इस ऐतिहासिक पहल को शून्य कार्बन उत्सर्जन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। मालूम हो कि भारतीय रेल ने उत्तर रेलवे के 89 किलोमीटर लंबे सोनीपत-जींद मार्ग पर डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डीईएमयू) पर रेट्रोफिटिंग करके हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बोलियां आमंत्रित की हैं।

रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जर्मनी और पोलैंड के बाद भारत विश्व का तीसरा देश होगा जहां ग्रीन एनर्जी का प्रयोग शुरू किया जा रहा है। अधिकारी ने बताया कि दो लोकल ट्रेनों (डेमू) में बदलाव कर हाइड्रोजन फ्यूल सेल लगाए जाएंगे। बाद में नौरो गेज के इंजन हाइड्रोजन फ्यूल सेल सिस्टम में परिवर्तित किए जाएंगे।

शुक्रवार को रेल मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी। इसके जरिये भारतीय रेल यह पता लगाने का प्रयास करेगी कि क्या मौजूदा डीजल से चलने वाली ट्रेनों को हाइड्रोजन का इस्तेमाल करने के लिए रेट्रोफिट किया जा सकता है।

बयान में कहा गया, “डीजल से चलने वाले डेमू की रेट्रोफिटिंग और इसे हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले ट्रेन सेट में बदलने से न केवल सालाना 2.3 करोड़ रुपये की बचत होगी, बल्कि प्रतिवर्ष 11.12 किलो टन के कार्बन उत्सर्जन (नाइट्रिक ऑक्साइड) को कम किया जा सकेगा।

बयान के अनुसार इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन के बाद विद्युतीकरण के जरिये डीजल ईंधन से चलने वाले सभी रोलिंग स्टॉक को हाइड्रोजन ईंधन से चलाने की योजना बनायी जा सकती है।

निविदा दाखिल करने की समयसीमा 21 सितंबर, 2021 से पांच अक्तूबर, 2021 तय की गयी है। निविदा पूर्व बैठक 17 अगस्त को होगी। अधिकारी ने बताया कि हाइड्रोजन फ्यूल सेल से परिचालन होने वाली डेमू ट्रेन से हर साल लगभग 2.3 करोड़ रुपये की बचत होगी। और 11.12 किलो टन नाइट्रोजन डाई आक्साइड व 0.72 किलो टन कार्बन कणों का उत्सर्जन कम होगा। इस प्रणाली में सौर उर्जा के प्रयोग से पानी को विघटित कर हाइड्रोजन प्राप्त की जाती है। यह अब तक सर्वाधिक ग्रीन फ्यूल मॉडल माना गया है। इस प्रयोग की सफलता के बाद सभी डीजल इंजनों को हाइड्रोजन फ्यूल सेल में परिवर्तित किया जाएगा।