जहां पूरी दुनिया corona के तीसरे लहर से निपटने की तैयारी कर रहा है वही चीन अपने न पाक इरादों को धरातल पर लाने की तैयारी में जुट गया है। पूरे विश्व को corona महामारी देने वाला चीन अभी भी नही सुधरा है।चीनी ड्रैगन ने अरुणाचल प्रदेश में नाम बदलने और भारतीय सांसदों को पत्र लिखने के बाद नए साल के मौके पर एक और घटिया हरकत की है। चीन ने लद्दाख की गलवान घाटी से एक वीडियो जारी किया है।
इस वीडियो में चीनी सैनिक नए साल की बधाई देते नजर आ रहे हैं। भारतीय सीमा के पास मौजूद ये चीनी सैनिक कह रहे हैं कि हम देश की सीमाओं की रक्षा करेंगे। इनके पीछे पहाड़ी पर लिखा है, ‘कभी भी एक इंच जमीन नहीं देंगे।’
चीन ने एक और वीडियो जारी किया है जिसमें चीनी झंडे को तिब्बत के बर्फीले इलाके में एक ड्रोन से फहराया जा रहा है। चीनी सैनिक नए साल की बधाई दे रहे हैं। भारत और चीन के बीच पिछले कई महीने से लद्दाख में विवाद बना हुआ है। भारत और चीन के सैनिकों के बीच 15 जून 2020 को खूनी झड़प भी हुई थी। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, वहीं चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। हालांकि चीन आधिकारिक रूप से मरने वालों की संख्या 5 ही मानता है।
इस झड़प के दौरान चीन के कमांडर समेत कई जवान घिर गए थे। यही नहीं जब भारतीय सैनिक भारी पड़ने लगे तब चीनी सेना ने और सैनिकों को बुला लिया था। अभी भी दोनों ही तरफ से करीब 50-50 हजार सैनिक लद्दाख में एलएसी पर तैनात हैं। इससे पहले अभी चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय इलाकों के नाम बदल दिए थे। चीन ने अरुणाचल प्रदेश में 15 और स्थानों के लिए चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला के नामों की घोषणा की है। इन्हीं नामों का इस्तेमाल अब चीन के आधिकारिक नक्शे में किया जाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन का यह ताजा कदम हाल ही में भारतीय इलाके पर उसके दावे को और ज्यादा तेज करने से जुड़ा हुआ है।
यही वजह है कि भारत ने चीन के इस कदम की तीखी आलोचना की है और कहा है कि चीन ने नाम बदल देने से यह तथ्य नहीं बदल जाएगा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है। चीन के नक्शे में अरुणाचल प्रदेश का नाम ‘जांगनान’ या ‘दक्षिणी तिब्बत’ दिखाया गया है और साल 2017 में ड्रैगन ने वहां के स्थानों के लिए 6 आधिकारिक नाम बताए थे। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक उसी समय तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने अरुणाचल प्रदेश की यात्रा की थी।
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