राजस्थान में महीनों तक जारी रहे सियासी गतिरोध अब खत्म हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच पैदा हुए मतभेद गांधी परिवार के हस्तक्षेप के सुलझ गयी है। सोमवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के सामने सचिन पायलट ने अपनी मांगों और चिंताओं को रखा, जिसके बाद आलाकमान ने एक समिति गठित करने की घोषणा की। ऐसा माना जा रहा है कि एक समझौता हुआ है, जिसमें तय किया गया है कि पायलट समूह के विधायक गहलोत सरकार में हस्तक्षेप नहीं करेंगे और बदले में, यह आश्वासन मिला कि बागियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। 200 सदस्यीय विधानसभा में गहलोत को 100 से अधिक विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
14 जुलाई को डिप्टी सीएम के पद से हटाये गये थे पायलट
सचिन पायलट को 14 जुलाई को राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष और उप-मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया था। इसके अलावा, पायलट गुट के दो विधायकों को भी उनके मंत्री पद से हटा दिया गया था। कांग्रेस के एक शीर्ष नेता के अनुसार, सोनिया गांधी का स्पष्ट संदेश था ’सचिन पायलट को पार्टी से जाने नहीं देना है।’ जब गहलोत ने सार्वजनिक रूप से पायलट पर निजी हमला किया, तो उन्हें निर्देश दिया गया कि वे ऐसा न करें। प्रियंका और राहुल गांधी ने शुरुआत में पायलट को बहुत समझाने की कोशिश की। बातचीत समाप्त होने के बाद भी, प्रियंका पायलट के संपर्क में थीं। नेता ने कहा कि कई कोशिशों के बाद, राहुल गांधी ने सचिन पायलट से मुलाकात की और फिर उनका रास्ता तैयार किया गया।
पायलट को मिलेगा राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा पद
कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में सचिन पायलट गुट के विधायकों को सरकार में महत्वपूर्ण पद दिए जाएंगे और नेताओं को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाएंगी। पायलट को कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा पद दिया जाएगा। महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तीन नेताओं की एक समिति का गठन करेंगी जो सचिन और बागी विधायकों की चिंताओं और मांगों पर गौर करेगी। समिति उन कारणों पर गौर करेगी कि गहलोत सरकार में सचिन पायलट और उनके साथी विधायकों की उपेक्षा क्यों की गई। वहीं सूत्रों की माने तो सचिन पायलट ने राजस्थान के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे को हटाने की मांग की है। ऐसे में माना जा रहा है कि उन्हें इस पद से हटाया भी जा सकता है।
You must be logged in to post a comment.