अरविन्द सिंह बोले: आपातकाल का वह दिन 25 जून देश की राजनीति का है ‘काला अध्याय’, इसे इतिहास कभी नहीं भूला पाएगा

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने भारत के इतिहास में सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल माने जाने वाले 25 जून 1975 के दिन को याद करते हुए कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी, जिन्होंने भारत के मा राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करवाई। 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री स्व इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल आपातकाल रहा था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई। स्व इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित कर दिया गया। प्रधानमंत्री के बेटे स्व संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाया गया। स्व जयप्रकाश नारायण ने इसे ‘भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि’ कहा था और इस कुकृत्य ये ख़िलाफ़ पूरे देश में जनआंदोलन चलायें जिसका परिणाम हुआ कि चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह से हार गयी।

उन्होंने कहा कि आपातकाल का वह दिन 25 जून देश की राजनीति का है ‘काला अध्याय’, इसे इतिहास कभी नहीं भूला पाएगा, यह सत्तालोलुप कांग्रेस का क्रूर और अलोकतांत्रिक चेहरे का सबसे बड़ा उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अपनी इस काली इतिहास को भी इस देश की जनता के सामने एक बार पुनः बताने का काम करे। साथही ये भी बताए की बाज़ार ग़ए 16 – 18 साल के नौजवान और नवयुवतीयों को, 50-80 वर्ष के बुज़ुर्ग महिला और पुरुषों को नसबंदी करके छोड़ दिया जाता था  ज़रा इसका भी आप देश की जनता को जवाब देने का काम करे। कांग्रेस के युवराज श्री राहुल गांधी सिद्धांत और नीति की बात करते है जिनके दल के पुरखों की काली इतिहास पड़ी हुई है।

प्रधान मंत्री मोदी ने कहा हमारी लोकतांत्रिक भावनाओं को कुचला गया

आजाद भारत के इतिहास में सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल माने जाने वाले 25 जून 1975 के दिन को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल (Emergency) एक ‘काला अध्याय’ है, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, “1975 से 1977 की अवधि में जो विनाश देखा गया, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता, किस तरह हमारी लोकतांत्रिक भावनाओं को कुचला गया था। हम उन सभी महानुभावों को याद करते हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और भारतीय लोकतंत्र की रक्षा की।”

उन्होंने आगे कहा, “आइए हम भारत की लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लें, और हमारे संविधान (Constitution) के मूल्यों पर खरा उतरें।” मालूम हो कि भारत के इतिहास में आज ही के दिन कांग्रेस सरकार की तरफ से 25 जून 1975 में देशभर में आपातकाल (Emergency) लगाने की घोषणा की गई थी, जिसे देश की राजनीति का ‘काला अध्याय’ (Dark Chapter) कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान चुनाव स्थगित कर दिए गए थे और लोगों के अधिकारों को खत्म कर दिया गया था।

वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने लिखा कि ‘एक परिवार के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने के लिए लगाया गया आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है’। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी आज के दिन को याद करते हुए कहा कि ‘देश की लोकतांत्रिक परंपराओं पर कुठाराघात करने के लिए जिस तरह संविधान का दुरुपयोग हुआ उसे कभी भूला नहीं जा सकता. इस दौरान लोकतंत्र (Democracy) की रक्षा के लिए देश में आंदोलन भी हुए और लोगों ने न जाने कितनी यातनायें सहीं।’

25 जून 1975 में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद (Fakhruddin Ali Ahmed) ने देशभर में आपातकाल लगाने का आदेश तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की सिफारिश पर दिया था, जिसने कई ऐतिहासिक घटनाओं को जन्म दिया। इस आपातकाल को लेकर इंदिरा गांधी की तरफ से ये दलीलें दी गई थीं कि आपातकाल लगाना जरूरी है, लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही थी। विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से इमरजेंसी के घोषणा पत्र पर दस्तखत करा लिए थे, जिसके बाद पूरा देश इंदिरा गांधी और संजय गांधी का बंधक बना दिया गया था।

इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी (Sanjay Gandhi) के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुरुष नसबंदी अभियान भी चलाया गया था. कई वरिष्ठ पत्रकारों को जेल भेज दिया गया। बाद में अखबार तो फिर छपने लगे, लेकिन उनमें क्या छापा जा रहा है, ये पहले सरकार को बताना पड़ता था। भारतीय राजनीति के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद काल रहा, क्योंकि इस दौरान नागरिक अधिकारों को खत्म करते हुए सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर शख्स को जेल में डाल दिया गया था।

देश में आपातकाल लगते ही इंदिरा के कड़े विरोधी माने जा रहे जयप्रकाश नारायण (Jayaprakash Narayan) को 26 जून की रात डेढ़ बजे गिरफ्तार कर लिया गया था, जिनके साथ इंदिरा गांधी की नीतियों का विरोध करने वाले और नेताओं को भी गिरफ्तार कर देशभर की कई जेलों में डाल दिया गया था। आपातकाल 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने की अवधि तक लगाया गया था। 21 महीने में 11 लाख लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था और 21 मार्च 1977 को इमरजेंसी खत्म करने की घोषणा की गई थी।