संजय राउत को ईडी ने भेजा समन,काल होना होगा ईडी दफ्तर में पेश

महाराष्ट्र में जारी सियासी उठा-पटक के बीच शिवसेना के सीनियर नेता संजय राउत को ईडी ने समन जारी किया है। उन्हें मुंबई स्थित ईडी दफ्तर में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। उन्हें कल पेश होगा होगा।

महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच शिवसेना के सीनियर नेता संजय राउत को ईडी ने समन जारी किया है। उन्हें 28 जून को मुंबई स्थित ईडी दफ्तर में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। राउत को पतरा चौल जमीन घोटाले के केस मे ंसमन भेजा गया है। अधिकारियों ने बताया कि राज्यसभा के सदस्य राउत से कहा गया है कि वह 28 जून को दक्षिण मुंबई में स्थित एजेंसी के दफ्तर में उसके अधिकारियों के सामने पेश हों और धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत अपना बयान दर्ज कराएं।

ईडी ने अप्रैल में राउत की पत्नी वर्षा राउत और सांसद के दो सहयोगियों की 11.15 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी तौर पर कुर्क कर लिया था। संजय राउत को समन भेजे जाने पर शिवसेना ने सवाल उठाया है। पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि एजेंसी ने भाजपा के प्रति अपनी परमभक्ति का उदाहरण पेश किया है। इसी के तहत उन्हें समन जारी किया गया है। यही नहीं टीएमसी का भी रिएक्शन आया है और पार्टी का कहना है कि महाराष्ट्र की सरकार को गिराने के लिए संजय राउत को ईडी ने नोटिस दिया है।

संजय राउत को नोटिस के बाद माना जा रहा है कि महाराष्ट्र की सियासत में ईडी की भी एंट्री हो सकती है। पहले भी शिवसेना केंद्र सरकार पर एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल का आरोप लगाती रही है। ऐसे में साफ है कि एक बार फिर से वह इसे राजनीतिक कार्रवाई बता सकती है। बता दें कि एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना से बगावत के पूरे एपिसोड में संजय राउत बेहद मुखर रहे हैं और बागी विधायकों पर हमला बोलते रहे हैं। यही नहीं वह तो शिवसेना के बागियों को मुंबई आने तक की चुनौती देते रहे हैं।

उन्होंने कहा था कि शिवसैनिकों के धैर्य की परीक्षा ली जा रही है और वे सड़कों पर उतरे तो कुछ भी हो सकता है। संजय राउत ने आज ही इस पूरे विवाद को लेकर कहा था कि शिवसेना स्ट्रीट फाइट में भी उतरेगी और कानूनी लड़ाई भी लड़ेगी। गौरतलब है कि बागी विधायक भी लगातार संजय राउत पर ही हमला बोलते रहे हैं। शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे के नाम लिखे पत्र में भी इशारों में ही संजय राउत पर हमला बोलते हुए कहा था कि जो लोग राज्यसभा में हैं, वे चुने हुए नेताओं को नजरअंदाज करते हैं और सीएम तक उनकी पहुंच नहीं होने देते हैं।