बिहार में अवसरों की नही है कोई कमी, जरूरत है तो लोगो के मानसिकता को बदलने की- सचिन चंद्रा ( वाइस चेयरमैन- भारतीय उद्योग परिसंघ)

हमसे बात करते हुए आज भारतीय उद्योग परिसंघ के बिहार के वाइस चेयरमैन सचिन चंद्रा जी ने कहा कि बढ़ते कोरोना को देखते हुए सीआईआई द्वारा बिहार में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। जिससे भारतीय उद्योग परिसंघ के सदस्यों और उनके साथ काम करने वाले मजदूरों को अस्पताल की सुविधा प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से अपने सदस्यों को बचाने के लिए हमने अपने सदस्यों के बीच कोरोना के नियमों को रिफ्रेश किया है। उन्हें दोबारा इन नियमों की जानकारी प्रदान किया है। पिछले 3 साल 2020,2021 और 2022 से लगातार कोरोना महामारी के अस्तित्व में आने को लेकर उन्होंने कहा कि जिस तरह भारत में आय कर का भुगतान हर साल किया जाता हैं। कोरोना भी ठीक वैसी ही प्रक्रिया हो गई है। उन्होंने कहा कि जैसे हर भारतवासी हर साल इनकम टैक्स का रिटर्न भरता है वैसे ही अब लगता है कोरोना का रिटर्न भी हमे हर साल भरना पड़ेगा।

सचिन चंद्रा,वाइस चेयरमैन- भारतीय उद्योग परिसंघ (बिहार)

उन्होंने कहा कि बिहार बड़े उद्योगों के मामले में अभी बहुत पीछे हैं। बिहार में छोटे छोटे उद्योग अस्तित्व में हैं। कोरोना महामारी से उद्योग जगत को काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण जितने सर्विस सेक्टर हैं चाहे वह मॉल हो, स्कूल हो, होटल हो या रेस्टुरेंट हो सभी को बंद कर दिया जाता है। जिसका असर राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। बिहार के अर्थव्यवस्था पर कोरोना का नकारात्मक असर पड़ा है। जो चिंता का विषय है।

बिहार में बड़े उद्योग क्यों नहीं आ पा रहे हैं?

उन्होंने कहा कि बड़े उद्योग खनिज आधारित होते हैं झारखंड के अलग होने के बाद बिहार खनिज विहीन हो गया। बिहार का उद्योग कृषि पर आधारित उद्योग है। उन्होंने कहा कि यह बताते हुए हमे हर्ष महसूस हो रहा है कि इथेनॉल पॉलिसी को लेकर बिहार सरकार और उद्योग मंत्री का सकारात्मक रवैया रहा। यही कारण है की इथेनॉल के क्षेत्र में काफी काम हुआ है।आनेवाले दिनों में धरातल पर हमे इसका अनुकूल परिणाम देखने को मिलेगा। जिससे आनेवाले दिनों में बिहार में रोजगार के अवसर का सृजन होगा। उन्होंने कहा कि बिहार में टेक्सटाइल उद्योग के विकास पर भी कार्य जारी है पर कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए फिलहाल इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। आने वाले दिनों में इथेनॉल के विकास से बिहार में उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि इथेनॉल को लेकर बिहार में 35 हजार करोड़ के उद्योग के प्रपोजल को ओके किया गया है। जो बिहार में उद्योग के विकास के लिए एक सफल कदम है।

उन्होंने बताया कि भारतीय उद्योग परिसंघ को सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है एवम् बिहार में विकास को लेकर राज्य सरकार काफी सजग है। सरकार का रवैया भारतीय उद्योग परिसंघ को लेकर सकारात्मक देखने को मिल रहा है। इथेनॉल की पॉलिसी में सफलता मिलने के साथ ही कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए छोटे-छोटे सेंटर्स जैसे कलस्टर डेवलप किए जा रहे हैं जैसे मुज्जफरपुर में फूड कलस्टर। इसके अलावा उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग परिसंघ एक स्टेकहोल्डर संगठन है। जिसमे समय समय पर चर्चा होते रहता है कि कैसे दूसरो को सहयोग किया जाए। हमारी वजह से और उद्योगों को किस प्रकार मदद मिल सकता है। हम एक दूसरे का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या बिहार में उद्योगों के ना बढ़ने का कारण बिहार की अपराधिक छवि का होना है?

भारतीय उद्योग परिसंघ के वाइस चेयरमैन सचिन चंद्रा ने कहा कि छवि का प्रभाव तो पड़ता है इतने लंबे समय तक बिहार में नीतीश कुमार कि सरकार रहने के बावजूद भी बिहार के बाहर औद्योगिक जगत में बिहार की छवि में खासा परिवर्तन नहीं आया है। पर धरातल पर चीजे काफी अच्छी हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में आज के युग में लॉ एंड ऑर्डर की कोई समस्या नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले के समय में जब कोई मेंबर बिहार में उद्योग लगाने की शुरुआत करते थे तो उनके साथ कोई ना कोई अपराधिक एक्टिविटी हो जाती थी। लेकिन अब हम इस विषय के बारे में सोचते भी नहीं है कि आने वाले वक्त में उद्योग के लिए लॉ एंड ऑर्डर कोई मुद्दा होगा।

उन्होंने कहा कि बिहार की छवि को वाकई सुधारने की जरूरत है। बिहार को प्रचारित करने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से बिहार में सुधरे लॉ एंड ऑर्डर को लोगो तक पहुंचाने की जरूरत है। आज का युग सेल्फ मार्केटिंग का हो गया है। आप क्या है आपको खुद बताना पड़ता है। एक समय था जब हमें सिखाया जाता था कि अपने से अपनी बड़ाई नहीं करनी चाहिए परंतु आज का जमाना पूरी तरह बदल गया है। उन्होंने कहा कि लोगों को बताना पड़ेगा कि बिहार क्या है। हमने बिहार के उद्योग मंत्री से सिफारिश भी की थी कि वह रोड शो करें जिसमें लोगों को जागरूक किया जाए और बताया जाए कि बिहार में लॉ एंड ऑर्डर का कोई समस्या नहीं है। परंतु करो ना के बढ़ते मामलों के कारण हमें अभी इसे रोकना पड़ा है।

युवाओं के पलायन को लेकर सचिन चंद्रा ने कहा कि सब मानसिकता का खेल है बिहार का व्यक्ति जो बाहर जाकर छोटा कार्य करने से नहीं हिचकता है। उसे बिहार में वह कार्य करने में शर्म आती है। बिहार में रोजगार के अवसरों में कमी नहीं है जरूरत है लोगों को अपनी सोच में बदलाव लाने कि। राज्य सरकार की तरफ से युवा विकास कौशल योजना का कार्यक्रम चलाया जा रहा है लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इस कार्यक्रम के लिए हमें नौजवान तक नहीं मिल पा रहे हैं। बिहार में उद्योग के विकास के लिए बिहार सरकार और भारतीय उद्योग परिसंघ प्रयासरत हैं।

उन्होंने उद्योग के स्टार्टअप को लेकर कहां की लोगों के मन में आज भी भ्रांति है कि उद्योगों की शुरुआत के लिए बड़े रकम की आवश्यकता है। ऐसी कोई बात नहीं है उन्होंने कहा कि आप एक बार उद्योग के क्षेत्र में आइए इसे शुरू कीजिए फिर सारी चीजें अपने आप पटरी पर आने लगेंगे। उन्होंने बताया कि जो भी युवा स्टार्टक के लिए उत्सुक हैं वह सीआईआई से संपर्क कर सकते हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ उनकी पूर्ण रूप से मदद करेगी। उन्होंने युवाओं से अपील की कि ऐसे कोई भी युवा जिनके पास बिजनेस को लेकर कोई नई आईडिया है वह कभी भी भारतीय उद्योग परिसंघ से मदद प्राप्त कर सकते हैं।

इसके साथ ही उन्होंने लोगो से अपील की कोरोना के प्रोटोकॉल का वह ईमानदारी से पालन करें। और कोरोना को हराने में सरकार की मदद करे। जिससे भारत की अर्थव्यवस्था फिर से अपने पटरी पर लौट सके।