योजनाओं को कागज पर उतारने से नहीं हो सकता राज्य का विकास, धरातल पर कार्य को देनी होगी प्राथमिकता।

राज्य के विकास हेतु सरकार बड़े बड़े दावे करती है। किसी योजना को कागज पर खूब सक्रियता के साथ उतारा जाता है। पर इसके बाद भी उस विकासशील योजना को धरातल पर उतरने में इतना लंबा वक्त क्यों लगता है? क्या योजनाओं को कागजी जामा पहनाने से राज्य का विकास संभव है? बिहार में पंचायत सरकार को मजबूत करने के सरकार की ओर से बड़ी बड़ी बातें होती हैं। पर वास्तविकता इन दावे के विपरीत नजर आती है।

क्या है माजरा?

मीडिया में प्रकाशित एक खबर के अनुसार पंचायत भवनों के निर्माण में भारी लापरवाही बरती जा रही है। राज्य की 3200 ग्राम पंचायतों में वर्ष 2011 तक पंचायत सरकार भवन का निर्माण का कार्य पूरा करना था पर अभी तक करीब 1450 ग्राम पंचायतों में ही पंचायत सरकार भवन का निर्माण हो पाया हैं।

क्यों हुई देरी?

भवन निर्माण कार्य में हुई देरी का सबसे बड़ा कारण जमीन की उपलब्धता में दिक्कत आना है। आलम यह है कि अब भी 3200 में से 252 पंचायतों में जमीन ही नहीं मिल पाई है। इसके लिए पंचायती राज विभाग ने जिलों को निर्देश जारी किया है कि जल्द-से-जल्द जमीन चिह्नित कर भवन निर्माण का कार्य शुरू कराएं।

इस योजना में लगेंगे कितने लागत?

राज्य सरकार ने सूबे की सभी ग्राम पंचायतों में पंचायत सरकार भवन बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए ग्राम पंचायतों को छह वर्गों में बांटा गया है। यह तय हुआ कि हर-एक चरण में 1435 पंचायत सरकार भवनों का निर्माण किया जाएगा। इसी क्रम में अभी दूसरे चरण का कार्य चल रहा है। इसके अलावा 330 पंचायत सरकार भवन अन्य स्रोत से भी बनाने का निर्णय पूर्व में लिया गया था। इस तरह दो चरणों के तहत 2870 और पूर्व के निर्णय के अनुसार 330 अर्थात 3200 पंचायत सरकार भवन निर्माण की स्वीकृति अब तक दी गई है। इनमें से 1450 भवनों का ही निर्माण पूरा किया गया है। वर्तमान में 1677 पंचायत सरकार भवनों के निर्माण का निर्देश दूसरे चरण के तहत जिलों को जारी हुए हैं। इनमें 66 पंचायत सरकार भवन का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। 252 पंचायत सरकार भवन के लिए अभी तक जमीन ही नहीं मिली है। वहीं, 827 ग्राम पंचायतों में भवनों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। शेष चिह्नित जमीन पर जल्द काम शुरू करने का निर्देश जिलों को पंचायती राज विभाग ने दिया है। एक पंचायत सरकार भवन के निर्माण के लिए एक करोड़ 14 लाख खर्च किये जाने हैं।

पंचायत सरकार भवन का कैसा होगा स्वरूप?

पंचायत सरकार भवनों में संबंधित पंचायतों के प्रतिनिधियों और पंचायत स्तर के कर्मियों के बैठने की जगह, ग्राम कचहरी के न्यायालय कक्ष, अभिलेखों की जगह, बैठक हॉल, स्वागत कक्ष, स्टोर, कंप्यूटराइज सेवा प्रदान करने के लिए सेवा केंद्र आदि की व्यवस्था रहती है।

निर्माण में देरी से उत्पन हो रही है कौन कौन सी समस्याएं?

पटना जिले में पिछले चार साल से 73 पंचायत सरकार भवन का मामला अटका हुआ है। पंचायत सरकार भवन का मामला भूमि नहीं मिलने के कारण अटका हुआ है। मात्र 10 पंचायत सरकार भवन में ही काम चल रहा है। यह नहीं बनने के कारण लोगों को स्थानीय तौर पर लोगों को जरूरी कार्यों का निष्पादन नहीं हो पा रहा है। लोगों को प्रखंड मुख्यालय जाने की मजबूरी हो जा रही है।

कहां बनेंगे ये भवन?

पंचायत सरकार भवन सरकारी अथवा दान में मिली जमीन पर बनाये जाने हैं। निर्माण शुरू कराने के लिए कुल लागत की पांच फीसदी राशि ग्राम पंचायतों को दी जाती है। निर्माण कार्य शुरू होने के बाद चरणवार राशि का भुगतान ग्राम पंचायतों को किया जाता है।

किसके हाथ में है निर्माण की शक्ति?

दूसरे चरण के लिए पंचायत सरकार भवनों के निर्माण की स्वीकृति के बाद यह भी तय किया गया है कि अब इसका निर्माण मुखिया कराएंगे। इसके लिए राज्य सरकार चरणवार राशि का भुगतान करेगी। इसके पहले स्थानीय अभियंत्रण संगठन के माध्यम से पंचायत सरकार भवन का निर्माण कराया जाना था।