बुटाई बाबा पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करने वाला काम कर रहे… उनके काम को सरकार के जल, जीवन-हरियाली अभियान से जोड़कर पौधरोपण कराया जाएगा- डा. चंद्रशेखर सिंह (जिलाधिकारी, पटना)

जनवरी की कड़ाके की ठंड में अलाव जलाकर बैठे थे कि टीवी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मां हीरा बेन के निधन की खबर आ गई। एक हाथ में बरगद का पौधा, दूसरे हाथ में पानी से भरी बाल्टी और बाजू में खंती दबाए बुटाई घर से निकल गए। फिर, कुछ ही देर में हीरा बेन के नाम पर बरगद का पौधा लग गया। पिता के निधन के बाद 22 साल पहले शुरू हुए इस सिलसिला का फलाफल यह है कि सोन नहर के दोनों ओर 11 किलोमीटर का इलाका ‘स्मृति वन’ की हरियाली की चादर से  ढंक गया है।

माता-पिता व गुरु के साथ-साथ देश के बलिदानियों व महापुरुषों तथा चर्चित लागों के नाम से पौधरोपण करने वाले पटना के बिहटा प्रखंड के मीठापुर गांव के जितेंद्र शर्मा उर्फ बुटाई बाबा अब अपनी मां की स्मृति में पटना के दीघा श्मशान घाट पर गंगा किनारे पीपल और बरगद के पौधे लगा रहे हैं।

पिता की स्मृति में लगाया था पहला पौधा….

पटना से करीब 51 किलोमीटर दूर बिहटा के मीठापुर निवासी जितेंद्र शर्मा के पिता का निधन 31 अक्टूबर सन 2000 को हो गया था। किसी संत के कहने पर अपने पिता की स्मृति में बरगद का पहला पौधा लगाया था। फिर तो सिलसिला चल पड़ा। गांव के पुराने घरों पर दीवारों पर उगे पीपल और बरगद के पौधों को काटकर फेंक दिया जाता है। बुटाई उन्‍हें काटे जाने के पहले उखाड़कर गांव में सोन नहर की बांध पर लगाने लगे। देखते-देखते पूरा इलाका हरा-भरा हो गया। वे कहते हैं, ‘बरगद, पीपल व पांकड़ के फल पक्षियों को आहार, इंसानों को छाया तथा जीवन के लिए आक्सीजन देते हैं। पौधों को नया जीवन देकर पर्यावरण की रक्षा करने का संतोष मिलता है।’

कलाम व बाजपेयी के नाम पर भी लगाए पौधे…

बुटाई द्वारा मीठापुर के स्मृति वन में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, पूर्व राज्यपाल कैलाशपति मिश्रा, प्रमोद महाजन, अरूण जेटली आदि के नाम से लगाए गए पौधे अब छायादार वृक्ष हो चुके हैं। वहां वैष्णव संत स्वामी धरनीधराचार्य, सियाचीन में अपने गांव के बलिदानी सैनिक संतोष कुमार ही नहीं कुछ साल पहले पटना के एनआइटी घाट पर मकर संक्रांति के दिन नाव हादसे में मरने वाले अपने गांव के विपुल कुमार के नाम पर भी पीपल, आम, बरगद व पाकड़ के पौधे लगाए थे।

अब पटना के श्मशान में लाएंगे हरियाली…

बुटाई बताते हैं कि अब वे अपने गांव से निकल कर पटना में हरियाली की चादर बिछा रहे हैं। बीते साल उनकी मां का निधन हो गया तो पटना के दीघा श्मशान घाट पर गंगा किनारे अंतिम संस्कार के लिए गए। वहां एक भी पेड़ नहीं था। सोचा कि पिता की स्मृति और प्रेरणा से 21 साल गांव में नहर पर वन लगाया तो अब अब मां की स्मृति में श्मशान घाट पर हरियाली की चादर बिछाएंगे। बीते दो महीने से यह सिलसिला भी चल पड़ा है। इस दौरान अभी तक श्मशान घाट पर 35 पीपल और बरगद के पौधे लगा चुके हैं।