इस बार फीकी है मुजफ्फरपुर के शाही लीची की मिठास, कुछ कीजिए सीएम साहब…

लीची का जब भी जिक्र होता है, तो उसमें शीर्ष पर मुजफ्फरपुर के शाही लीची का नाम आता है।किंतु सुप्रसिद्ध शाही लीची की मिठास इस बार फीकी हो गयी है। मुजफ्फरपुर के उद्यान रत्न किसान भोलानाथ झा कहते हैं कि किसान और व्यपारियों के लिए कोरोना काल संकट से भरी पड़ी है। शाही लीची का पैदावार प्रकृति आपदा के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो है। शाही लीची का नुकसान किसान और व्यपारी दोनो को उठाना पड़ा है।

लीची की 80 फीसदी फसल बर्बाद

भोलानाथ झा ने आगे कहा कि 80 प्रतिशत लीची बगीचे में ही पेड़ से गिरकर बर्बाद हो गयी। लीची का साइज काफी छोटा है और स्वाद भी पहले जैसा नहीं। कहें तो फीका है। शाही लीची के व्यापार को मात्र 20 प्रतिशत ही रिकवरी किया जा सका है।

ठीक है चैना लीची का फसल

उन्होंने कहा कि चैना लीची की स्थिति अभीतक ठीक है। लेकिन बारिश होने के आसार से किसान और व्यपारी भयवित है। यदि प्रकृति ने साथ नही दिया तो लीची के साथ साथ आम की बची हुई फसल भी बर्बाद हो जायेगी।

अब सरकार से काफी उम्मीद

भोलानाथ झा ने कहा कि इस परिस्थिति में किसानों के समक्ष काफी संकट है। ऐसे में उन्हें अब केंद्र और राज्य सरकार से काफी उम्मीदें है। उनका मांग है कि आपदा प्रबंधन के तहत लीची किसान और व्यपारियों को क्षति पूर्ति का मुआवजा दिया जाए।

चुनावी साल में सीएम से गुहार

लीची को बिहार की प्रतिष्ठा बताते हुए भोलानाथ झा कहते हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री इस मामले में कुछ करें। चूंकि अब तक किसान और मजदूरों के मामले में सरकार की उपलब्धि शून्य है, किसान त्राहिमाम कर रहे है। वही भारतीय किसान यूनिनय बिहार, के अध्यक्ष विरेंद्र राय ने कहा कि शाही लीची के क्षति मुआवजा का विशेष व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए, ताकि किसानों का जोश बना रहे और आगे भी शाही लीची का उत्पादन हो सके।

रिपोर्ट : विवेक चंद्र