मोहन भागवत जो कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख हैं, उन्होंने राष्ट्रवाद को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने रांची में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि राष्ट्रवाद के स्थान पर राष्ट्र या राष्ट्रीय शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए, क्योंकि राष्ट्रवाद में हिटलर और नाजी की झलक देखने को मिलती है।
हिंदुत्व के एजेंडे पर RSS बढ़ेगा आगे
भागवत का कहना है कि हिंदू ही एक ऐसा शब्द है जो भारत को दुनिया के सामने सही तरीके से पेश करता है। बेशक देश में कई धर्म हैं लेकिन हर व्यक्ति एक शब्द से जुड़ा हुआ है जो हिंदू है। ये शब्द देश की संस्कृति को दुनिया के सामने दर्शाता है। उन्होंने कहा कि संघ देश में विस्तार के साथ-साथ हिंदुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़ता रहेगा जो देश को जोड़ने का काम करेगा। हम सभी को मानवता के साथ जीना सीखना होगा। इसके लिए देश में प्यार काफी जरूरी है। संघ में हम कार्यकर्ताओं को इसे लेकर ही ज्ञान देते हैं।
भारत के समक्ष काफी चुनौतियां
मोहन भागवत ने कहा कि इस समय दुनिया के सामने आईएसआईएस, कट्टरपंथ और जलवायु जैसी बड़ी चुनौतियां हैं। हमारा लक्ष्य आरएसएस का विस्तार के जरिए भारत को विश्वगुरू बनाने का है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि विकसित देश अपने व्यापार को हर देश में फैलाना चाहते हैं। इसके जरिए वो अपनी शर्तों को मनवाना चाहते हैं। दुनिया के सामने जो बड़ी समस्याएं हैं उनसे केवल भारत निजात दिला सकता है। हिंदुस्तान को नेतृत्व करने के बारे में सोचना चाहिए। एकता ही देश की अकेली ताकत है। बेशक इसका आधार अलग हो सकता है लेकिन मकसद एक है।
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