नृपेन्द्र मिश्रा को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में अध्यक्ष बनाये जाने के क्रोनोलॉजी को समझिए…

नृपेन्द्र मिश्र श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष बनाये गये हैं। आप शायद जानते होंगे कि ये वही नृपेन्द्र मिश्रा हैं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते हीं अपना प्रधान सचिव नियुक्त कर लिया था। मोदी जब 2019 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तो मिश्रा ने पद छोड़ने की पेशकश की और सितंबर 2019 से वह प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पद से रिटायर हो गए। उनको अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की अहम जिम्मेदारी मिलना इस बात का संकेत है कि प्रधानमंत्री मोदी खुद इस महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट से कितने करीब से जुड़े हैं।

समिति के अध्यक्ष, भव्यता का ध्यान

मिश्रा को निर्माण समिति का अध्यक्ष इसलिए बनाया गया ताकि मंदिर का निर्माण पूरी भव्यता के साथ समयसीमा के अंदर हो। प्रधानमंत्री मंदिर में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं। ये सब बातें सुनिश्चित करने के लिए एक ऐसी अथॉरिटी की जरूरत महसूस हुई जिनके काम करने की स्टाइल जांची-परखी हो।

दरअसल, राम मंदिर आंदोलन से साधु-संतों का भावनात्मक लगाव है, ऐसे में थोड़ी सी कमी उनके अंदर उबाल पैदा कर सकता है। इसके अलावा, संघ परिवार का भी अयोध्या आंदोलन से गहरा रिश्ता है। इतना ही नहीं, राम मंदिर से हिंदुत्व की जड़ें जुड़ी हैं। प्रधानमंत्री इन बातों की गंभीरता समझते हैं और किसी तरह का खतरा बिल्कुल नहीं उठाना चाहते हैं।

यूपी कैडर के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं मिश्रा

मिश्रा के चुनाव का एक कारण यह है कि वह यूपी कैडर के ही रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर हैं। पूर्वी यूपी के देवरिया से होने की वजह से वह सूबे को बेहतर समझते हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निजी सचिव और पूर्व मुख्यमंत्री और समजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह के भी प्रधान सचिव रह चुके हैं। वह बाबरी विध्वंस के वक्त कारसेवकों पर कार्रवाई के खिलाफ थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को भी कारसेवकों से नरमी से निपटने की सलाह दी थी। उन्हें यूपी की आबोहवा का अच्छे से अहसास है, इसलिए भी वह प्रॉजेक्ट को बिल्कुल सटीक तरीके से अंजाम तक पहुंचा सकने में सक्षम हैं।