देश में लागू लॉकडाउन के कारण राजस्थान के कोटा शहर में लॉकडाउन के कारण बिहार के हजारों छात्र फंसे हुए हैं. कोटा में फंसे बिहार के छात्र अब अपनी घर वापसी की मांग को लेकर धरने पर बैठ गये हैं. कोटा में फंसे सैकड़ों छात्र बिहार सरकार से अपने घर जाने के लिए बसें भेजने की अपील की है.
गांधीवादी तरीके से छात्र कर रहे प्रदर्शन
बिहार सरकार से लगातार आग्रह करने के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो छात्रों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। छात्र हॉस्टल में रहकर ही उपवास कर रहे हैं और गांधीवादी तरीके से हाथ में तख्तियां लेकर राज्य सरकार से घर बुलवाने की अपील कर रहे हैं।
छात्रों का कहना है कि जब तक उन्हें घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था नहीं होती है उनका उपवास जारी रहेगा। बच्चों के अलावा उनके परिजन भी लगातार राज्य सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि उन्हें कोटा से वापस लाने की व्यवस्था की जाए।
छात्रों को लाना फिलहाल संभव नहीं
कोटा में फंसे बिहार के छात्रों का कहना है कि जब कई दूसरे राज्यों के छात्र यहां से अपने घर जा चुके हैं ऐसे में हमें भी यहां से ले जाने की व्यवस्था की जाए. हालांकि, बिहार सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि कोटा से छात्रों को लाना फिलहाल संभव नहीं है.
लॉकडाउन का होगा उल्लंघन
वहीं बिहार सरकार ने कोटा समेत अन्य राज्यों में पढ़ने वाले किसी भी छात्र के संबध में पटना हाईकोर्ट में जानकारी दी है. मुख्य सचिव दीपक कुमार की ओर से इस संबंध में हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में गुरुवार को हलफनामा दायर किया है. इसमें कहा गया है कि वर्तमान में अगर किसी भी छात्र को यहां लाया जाता है, तो यह केंद्र सरकार द्वारा जारी की गयी एडवाइजरी का उल्लंघन माना जायेगा.
27 अप्रैल तक सरकार से जवाब तलब
सूत्रों के अनुसार सरकार के इस जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं है. इधर एक अन्य मामले में कोटा में पढ़ रही एक छात्रा के पिता की याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 27 अप्रैल तक सरकार से जवाब तलब किया है.इधर, वरीय अधिवक्ता अजय कुमार ठाकुर की याचिका के जवाब में सरकार ने अपने जवाब में कहा कि बड़ी संख्या में बाहर के प्रदेशों में पढ़ रहे बिहारी छात्रों को लाना सुरक्षा दृष्टिकोण से उचित प्रतीत नहीं होता है. संभव है कि इससे कोरोना वायरस का प्रकोप और बढ़ जाये।
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