अमेरिका के न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन समेत 25 शहरों में प्रदर्शनकारी बेकाबू, हिंसा-आगजनी, मिन्नेसोटा, जॉर्जिया में लगा इमरजेंसी

कोरोना महामारी पूरे विश्व में फैल चुकी हैं वहीं अमेरिका में ही कोरोना से करीब 80 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन अमेरिका इस समय दोहरी मार झेल रहा है।अमेरिका के 25 से अधिक शहरों में भीषण प्रदर्शन, हंगामा और हिंसा हो रही है. कई जगहों पर प्रदर्शन दंगे में बदल गया है और लोगों ने पुलिस की गाड़ियों, इमारतों में आग लगा दी और दुकानों से सामान लूट लिए. नैशविले में कोर्ट की ऐतिहासिक बिल्डिंग को आग के हवाले कर दिया गया. इस दौरान कम से कम 2 लोगों की मौत भी हो गई. प्रदर्शन में शामिल शहरों में न्यूयॉर्क, लॉस एंजिलिस, कैलिफोर्निया और वॉशिंगटन प्रमुख हैं. मिन्नेसोटा और जॉर्जिया राज्य में इमरजेंसी का ऐलान करना पड़ा.

दंगे की वजह से कर्फ्यू लगाना पड़ा

सोमवार को पुलिस कस्टडी में एक अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत हो गई थी. उन्हें न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन शुरू हुए. प्रदर्शन की वजह से अमेरिका में गोरे की ओर से अश्वेत लोगों पर किए जा रहे अत्याचार का मुद्दा फिर से बहस के केंद्र में आ गया.शनिवार को प्रदर्शन का पांचवा दिन था. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 शहरों में दंगे की वजह से कर्फ्यू लगाना पड़ा. कर्फ्यू के बावजूद प्रदर्शन खत्म नहीं हुए. प्रभावित राज्यों में मिन्नेसोटा, जॉर्जिया, ओहियो, कोलोराडो, विस्कोन्सिन, केन्टकी, उटाह, टेक्सास शामिल हैं.

अश्वेत लोगों पर अत्याचार को खत्म करने के लिए व्यवस्था में बदलाव की जरूरत

असल में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत से ठीक पहले का एक वीडियो सामने आया था. वीडियो में दिख रहा था कि जॉर्ज जमीन पर गिरे हुए हैं और एक गोरा पुलिसकर्मी उनकी गर्दन को घुटना से दबाए हुए है. इस दौरान जॉर्ज कहते हैं कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है.अब अमेरिका में सवाल उठ रहा है कि अश्वेत लोगों पर सालों से हो रहे अत्याचार को खत्म करने के लिए व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है. प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि जॉर्ज फ्लॉयड को गिरफ्तार करने वाले पुलिस कर्मियों पर हत्या का मुकदमा चले.